कालिदास का जीवन परिचय | Kalidas Ka Jivan Parichay

नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अछे ही होंगे। आज हम आप को कालिदास का जीवन परिचय (Kalidas Ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार से बतायेंगे।

कालिदास का जीवन परिचय | Kalidas Ka Jivan Parichay
कालिदास का जीवन परिचय | Kalidas Ka Jivan Parichay
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कालिदास का जीवन परिचय (Kalidas Ka Jivan Parichay)

पूरा नाम (Name)कालिदास (Kalidas)
जन्म (Birthday)पहली से तीसरी शताब्दी ईस पूर्व के बीच माना जाता है।
जन्मस्थान (Birthplace)जन्मस्थान के बारे में विवाद है।
विवाह (Wife Name)राजकुमारी विद्योत्तमा से।
निधन (Death)जन्म की तरह ही कालिदास की मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं है।

कालिदास का जन्म

साहित्य के विद्दान और महाकवि कालिदास का जन्म कब और कहां हुआ इसके बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन इनके जन्म को लेकर विद्धानों के अलग-अलग मत है।

ऐसा माना जाता है कि 150 ईसा पूर्व 450 ईस्वी तक कालिदास रहे होंगे। जबकि एक रिसर्च के मुताबिक कालिदास गुप्त काल में जन्मे होंगे। चूंकि कालिदास ने, द्धितीय शुंग शासक अग्निमित्र को नायक बनाकर “मालविकाग्निमित्रम्” नाटक लिखा और अग्निमित्र ने 170 ईसापू्र्व में शासन किया था जिससे कालीदास के जन्म का अनुमान लगाया जा सकता है।

छठीं सदी में बाणभट्ट ने अपनी रचना “हर्षचरितम्” में कालिदास का उल्लेख किया है तथा इसी काल के पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में कालिदास का जिक्र है आखिरकार वे इनके बाद के नहीं हो सकते। इस तरह कालिदास के प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से  तीसरी शताब्दी ईसवी के बीच के जन्मे माने जाते हैं।

कालिदास का जन्म स्थान

वैसे तो आज भी कालीदास के जन्म स्थान के बारे में विवाद हैं। कुछ लोग कालीदास को  उज्जैन का निवासी मानते थे क्योकि कालीदास को  उज्जैन से बहुत ही लगाव था। कुछ साहित्यकारों ने यह सिद्ध किया हैं की कालीदास का जन्म उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था।

रुद्रप्रयाग में ही कालीदास ने अपनी प्राम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी और यही पर उन्होंने मेघदूत, कुमारसंभव औऱ रघुवंश जैसे महान कविताएँ लिखी थी कुछ साहित्यकारों का मानना यह भी है की कालीदास का जन्म बंगाल और उड़ीसा में हुआ था।

कालिदास का राजकुमारी विद्योत्मा से विवाह

महान कवि और दार्शनिक कालिदास की शादी संयोग से राजकुमारी विद्योत्मा से हुई। ऐसा कहा जाता है कि राजकुमारी विद्योत्मा ने प्रतिज्ञा की थी की जो भी उन्हे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वे उसी के साथ शादी करेंगी जब विद्योत्मा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्दानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी और इसका बदला लेने के लिए छल से कुछ विद्धानों ने कालिदास से राजकुमारी विद्योत्मा का शास्त्रार्थ करवाया और उनका विवाह राजकुमारी विद्योत्मा से करवा दिया।

आपको बता दें कि शास्त्रार्थ का परीक्षण के लिए राजकुमारी विद्योत्मा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे।

विद्योत्मा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्मा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि वह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही हैं।

इसलिए उसके जवाब में उन्होनें घूंसा दिखा दिया तब विद्योत्मा को लगा कि कालिदास कह रहे हैं कि पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक ही मन के द्धारा संचालित है।

इससे प्रभावित होकर राजकुमारी विद्योत्मा ने कालिदास से शादी करने के लिए हामी भर दी और उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

विद्योत्मा की धित्कार के बाद कालिदास बने महान कवि

कुछ दिनों बाद जब राजकुमारी विद्योत्मा को जब कालिदास की मंद बुद्धि का पता चला तो वे अत्यंत दुखी हुईं और कालिदास जी को धित्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापस नहीं आना।

फिर क्या था पत्नी से अपमानित हुए कालिदास ने विद्या प्राप्त करने का संकल्प लिया और सच्चे पंडित बनने की ठानी और इस संकल्प के साथ वे घर से निकल प़ड़े। और मां काली की सच्चे मन से उपासना करने लगे।

जिसके बाद मां काली के आशीर्वाद से वे परम ज्ञानी और साहित्य के विद्धान बन गए। इसके बाद वे अपने घर लौटे, और अपनी पत्नी को आवाज दी, जिसके बाद विद्योत्मा दरवाजे पर सुनकर ही समझ गईं कि कोई विद्धान व्यक्ति आया है।

इस तरह उन्हें अपनी पत्नी के धित्कारने के बाद परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे महान कवि बन गए। आज उनकी गणना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाने लगी यही नहीं संस्कृति साहित्य में अभी तक कालिदास जैसा कोई दूसरा कवि पैदा ही नहीं हुआ।

महाकवि कालिदास जी की रचनाएं

कवि कालिदास की रचनाओं के ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ उनका एक साहित्यिक महत्व भी है जो उनको खास बनाती है। वैसे इनकी साहित्यिक रचनाओं की सूची काफी लम्बी है, पर कवि कालिदास आज जिन रचनाओं के कारण जाने जाते हैं, वे 7 रचनाएं इस प्रकार से है:

  • महाकाव्य – रघुवंश, कुमारसंभव।
  • खंडकाव्य- मेघदूत, ऋतुसंहार।
  • तीन नाटक प्रसिद्ध हैं
  • अभिज्ञान शाकुंतलम्
  • मालविकाग्निमित्र
  • विक्रमोर्वशीय।

यही वे रचनाएं हैं जिसकी वजह से वे एक महान कवि कहलाते हैं। इनकी कविताओं में भाषा व प्रेम का संग्रह देखने को मिलता है और उसे अभिव्यक्ति और प्रकृति चित्रण के बारे में भी पढ़ने को मिलता है।

महाकवि कालिदास की अन्य रचनाएं

महाकवि कालिदास के बारे में जो ऊपर रचनाओं के बारे में बताया गया है इसके अलावा कवि कालिदास की कुछ अन्य रचनाएं भी है, जिसके बारे में आगे बताया गया है:

  • श्यामा दंडकम्।
  • ज्योतिर्विद्याभरणम्।
  • श्रृंगार रसाशतम्।
  • सेतुकाव्यम्।
  • श्रुतबोधम्।
  • श्रृंगार तिलकम्।
  • कर्पूरमंजरी।
  • पुष्पबाण विलासम्।

महाकवि कालिदास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • महाकवि कालिदास ने अपने सभी कृत्यों में सरल और मधुर भाषा का उपयोग किया है और उनकी सारी रचनाएं अलंकार युक्त होती है।
  • कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में श्रृंगार रस का काफी उपयोग किया है।
  • महाकवि ने अपने द्वारा रची गई रचनाओं में ऋतुओं का भी वर्णन बखूबी किया है।
  • कालिदास ने जो भी रचनाएं की है, उन रचनाओं में प्रेम रस का बेखुबी वर्णन किया गया है।

महाकवि कालिदास के जीवन पर फिल्म

महाकवि कालिदास के जीवन पर आधारित एक फिल्म साल 1960 में बन चुकी है। इस मूवी को ‘‘महाकवि कालिदासु’’ नाम दिया गया है। यह मूवी हालांकि काफी पुरानी है, पर इस में कवि कालिदास के जीवन के बारे में पूरी जानकारी को दर्शाया गया है।

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कालिदास का जीवन परिचय – FAQs

महाकवि कालिदास का जन्म कब हुआ?

महाकवि कालिदास का जन्म पहली से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच में माना जाता है।

महाकवि कालिदास ने किन-किन किताबों की रचनाएं की है?

कवि कालिदास ने कुछ किताबों की रचना की है जिनमे से यह कुछ है। ‘‘ऋतूसंहारम, कुमारसंभव, रघुवंश, मालविका-अग्निमित्र, अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोवर्शीय, उर्वशी इत्यादि।’’

महाकवि कालीदास किस राजा के दरबारी थे?

महाकवि कालिदास विक्रमाद्वितीय के दरबारी थे।

महाकवि कालिदास की पत्नी का क्या नाम था?

महाकवि कालिदास की पत्नी का नाम विद्योत्तमा था।

कवि कालिदास के साहित्य की रचनाओं की क्या विशेषता है?

कवि कालिदास की रचनाओं में प्रेमभाव का वर्णन ज्यादा मिलता है।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज हमने कालिदास का जीवन परिचय (Kalidas Ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार से जाना हैं और मैं आशा करता हु की आप को यह पोस्ट पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा।

यदि आप को यह लेख पसंद आया हैं तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें, धन्यवाद।

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