नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? मैं आशा करता हूँ कि आप सभी अच्छे ही होंगे। आज हम आप को इंदिरा गांधी जीवन परिचय (Indira Gandhi Biography In Hindi) के बारे में विस्तार से बतायेंगे।
इंदिरा गांधी जीवन परिचय (Indira Gandhi Biography In Hindi)
पूरा नाम | इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (Indira Priyadarshini Gandhi) |
माता पिता का नाम | पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और माता का नाम कमला नेहरू |
जन्म तिथि और स्थान | 19 नवम्बर 1917, इलाहबाद, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु की तिथि और स्थान | 31 अक्टूबर 1984, 66 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली, भारत |
पति का नाम | फिरोज गांधी (मुस्लिम) |
बच्चो के नाम | राजीव गांधी और संजय गांधी |
धर्म | हिंदू |
भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री | 14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक |
भारत की विदेश मंत्री | 9 मार्च 1984 से 31 अक्टूबर 1984 तक |
भारत की रक्षा मंत्री | 14 जनवरी1980 से 15 जनवरी 1982 तक |
भारत की गृहमंत्री | 27 जून 1970 से 4 फ़रवरी 1973 तक |
भारत की वित्त मंत्री | 16 जुलाई 1969 से 27 जून 1970 तक |
इंदिरा गांधी का जन्म व प्रारंभिक जीवन
19 नवंबर 1917 के दिन नेहरू परिवार में इंदिरा का जन्म हुआ था। माता कमला नेहरू जोकि एक बड़े घर से ताल्लुक रखती थी। इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे। जवाहरलाल नेहरू जोकि एक बड़े राष्ट्रवादी नेता थे, उनके गुण आगे चलकर इंदिरा में भी आए।
अपने पूरे कार्यकाल में इंदिरा गांधी जी ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनके चलते वह हमेशा विवादों में घिरी रही हैं। यदि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो उसे मुख्य बल प्रदान करने का कार्य इंदिरा गांधी ने ही किया है।
देश के सबसे बड़े और पुराने राजनैतिक पार्टी कांग्रेस इंदिरा गांधी के संघर्षों की बदौलत ही आज तक रणभूमि टिकी हुई है।
इंदिरा गांधी, महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण हैं, जिन्होंने सालों पहले जब महिलाओं को राजनीति में कोई सम्मान और पद नहीं दिया गया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री बनकर एक मिसाल पेश की।
इंदिरा गांधी अपनी शुरुआती राजनीतिक जीवन में इतनी कार्यरत नहीं थी, जिसकी वजह से कई लोग उन्हें गूंगी गुड़िया भी कहते थे जिन की आड़ में बड़े-बड़े राजनेता प्रधानमंत्री पद को दिशा दे रहे थे।
उनके माता-पिता साथ ही पूरा परिवार देश की आजादी में एक अहम भूमिका निभाया है। जिस समय इंदिरा के पिताजी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे थे, तो छोटी उम्र में ही इंदिरा ने अपना योगदान देने के लिए महाकाव्य रामायण से प्रेरित होकर एक वानर सेना बनाई थी, जिसमें उनकी उम्र के ही अन्य कई बच्चे शामिल थे।
लेकिन इन सबके बावजूद इंदिरा जी ने यह साबित करके दिखाया है कि महिलाएं भी पुरुषों के भांति ही किसी भी क्षेत्र में किसी से भी कम नहीं है।
इंदिरा गाँधी की शिक्षा
वह 1934 में मैट्रिक तक रुक-रुक कर स्कूल जाती थी, और उसे अक्सर घर पर पढ़ाया जाता था। उन्होंने शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया।
हालाँकि, उसने विश्वविद्यालय छोड़ दिया और अपनी बीमार माँ की देखभाल के लिए यूरोप चली गई। अपनी माँ के निधन के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए बैडमिंटन स्कूल में पढ़ाई की।
इसके बाद 1937 में उन्होंने इतिहास को आगे बढ़ाने के लिए सोमरविले कॉलेज में दाखिला लिया। वह अस्वस्थता से पीड़ित थी और उसे लगातार डॉक्टरों के पास जाना पड़ता था।
उसकी पढ़ाई बाधित हो गई क्योंकि उसे ठीक होने के लिए स्विट्जरलैंड की बार-बार यात्रा करनी पड़ी। अपने खराब स्वास्थ्य और अन्य व्यवधानों के कारण, उन्हें ऑक्सफोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना भारत लौटना पड़ा। हालांकि बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद उपाधि से सम्मानित किया।
विवाह और पारिवारिक जीवन
इंदिरा जब इंडियन नेशनल कांग्रेस की सदस्य बनी, तो उनकी मुलाक़ात फिरोज गांधी से हुई. फिरोज गाँधी तब एक पत्रकार और यूथ कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्य थे. 1941 में अपने पिता की असहमति के बावजूद भी इंदिरा ने फिरोज गांधी से विवाह कर लिया था. इंदिरा ने पहले राजीव गांधी और उसके 2 साल बाद संजय गांधी को जन्म दिया.
इंदिरा का विवाह फिरोज गान्धी से जरुर हुआ था, लेकिन फिरोज और महात्मा गांधी में कोई रिश्ता नहीं था. फिरोज उनके साथ स्वतंत्रता के संघर्ष में साथ थे, लेकिन वो पारसी थे, जबकि इंदिरा हिन्दू. और उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था.
दरअसल, इस जोड़ी को सार्वजनिक रूप से पसंद नहीं किया जा रहा था, ऐसे में महात्मा गांधी ने इस जोड़ी को समर्थन दिया और ये सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें उनका मीडिया से अनुरोध भी शामिल था “मैं अपमानजनक पत्रों के लेखकों को अपने गुस्से को कम करने के लिए इस शादी में आकर नवयुगल को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करता हूं” और कहा जाता हैं कि महात्मा गांधी ने ही राजनीतिक छवि बनाये रखने के लिए फिरोज और इंदिरा को गाँधी लगाने का सुझाव दिया था.
स्वतंत्रता के बाद इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे, तब इंदिरा अपने पिता के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गयी थी. उनके दोनों बेटे उनके साथ लेकिन फिरोज ने तब इलाहबाद रुकने का ही निर्णय किया था, क्योंकि फिरोज तब दी नेशनल हेरल्ड में एडिटर का कम कर रहे थे, इस न्यूज़ पेपर को मोतीलाल नेहरु ने शुरू कीया था.
इंदिरा का राजनीतिक करियर
नेहरु परिवार वैसे भी भारत के केंद्र सरकार में मुख्य परिवार थे, इसलिए इंदिरा का राजनीति में आना ज्यादा मुश्किल और आश्चर्यजनक नहीं था. उन्होंने बचपन से ही महात्मा गांधी को अपने इलाहाबाद वाले घर में आते-जाते देखा था, इसलिए उनकी देश और यहाँ की राजनीति में रूचि थी.
1951-52 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने पति फिरोज गांधी के लिए बहुत सी चुनावी सभाएं आयोजित की और उनके समर्थन में चलने वाले चुनावी अभियान का नेतृत्व किया. उस समय फिरोज रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे. जल्द ही फिरोज सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा चेहरा बन गए. उन्होंने बहुत से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का पर्दा फाश किया,जिसमे बीमा कम्पनी और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी का नाम शामिल था. वित्त मंत्री को तब जवाहर लाल नेहरु का करीबी माना जाता था.
इस तरह फिरोज राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की मुख्य धारा में सामने आये, और अपने थोड़े से समर्थकों के साथ उन्होंने केंद्र सरकार के साथ अपना संघर्ष ज़ारी रखा, लेकिन 8 सितम्बर 1960 को फिरोज की हृदयघात से मृत्यु हो गई.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष इंदिरा गांधी
एक उच्च स्तर की दूर दृष्तिता और राजनीतिक समझ इंदिरा गांधी को बचपन से ही अपने पिता के ज़रिए मिलते रहा है। जब इंदिरा छोटी थी तो पंडित नेहरू से मिलने के लिए बड़े-बड़े राजनेता उनके घर आया करते थे।
अपने पिता के कामों से प्रेरित होकर छोटी उम्र से ही इंदिरा अपना योगदान देना चाहती थी। आखिर वह समय आया जब इंदिरा जी के कामों से प्रभावित होकर उन्हें 1959 में चुनाव के पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया।
इंदिरा गांधी का कार्यकाल कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर काफी महत्वपूर्ण रहा। अक्सर इंदिरा गांधी अपने पिता पंडित नेहरू के मुख्य कर्मचारियों को मार्गदर्शन प्रदान करती तथा एक मुख्य पद पर अपनी सेवाएं प्रदान करती।
कहा जाता है कि जब इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गई, तब कांग्रेस पार्टी में कई नेताओं और बड़े मंत्रियों ने विद्रोह किया था। शायद एक महिला का दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना कुछ लोगों को रास ना आया।
27 मई, 1964 एक ऐसा मनहूस दिन था जब भारत ने जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े नेता को खो दिया था। पिता के दुखद देहांत के पश्चात भी इंदिरा गांधी हिम्मत नहीं हारी और पूरे मेहनत से अपने पद पर कार्यरत रहीं।
जिसके परिणाम स्वरूप नए भारतीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के आदेशानुसार चुनाव लड़ी और देश के तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में नियुक्त की गई।
प्रथम महिला प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गाँधी
11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में देहांत के बाद अंतरिम चुनावों में उन्होंने बहुमत से विजय हासिल की,और प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला.
प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियां प्रिंसी पर्स के उन्मूलन के लिए प्रिंसिपल राज्यों के पूर्व शासकों और चार प्रीमियम तेल कंपनियों के साथ भारत के चौदह सबसे बड़े बैंकों के 1969 राष्ट्रीयकरण के प्रस्तावों को पास करवाना था.
उन्होंने देश में खाद्य सामग्री को दूर करने में रचनात्मक कदम उठाए और देश को परमाणु युग में 1974 में भारत के पहले भूमिगत विस्फोट के साथ नेतृत्व किया.
इंदिरा गांधी की हत्या
पंजाब में बढ़ रहे खालिस्तानी गतिविधियों पर तंज कसने के लिए इंदिरा गांधी ने सिखों के धार्मिक स्थल पर ब्लू स्टार ऑपरेशन के जरिए खुलेआम सैनिकों को गोलियां बरसाने का आदेश दिया, जिससे सैकड़ों मासूम लोगों की जान गई और सिखों के धार्मिक स्थल को क्षति पहुंचने से उनके सम्मान को ठेस पहुंचा। परिणाम स्वरूप इस घटना के कारण लोगों में इंदिरा गांधी के प्रति रोष भर गया।
31 अक्टूबर 1984 के दिन जब इंदिरा गांधी दिल्ली में अपने प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में टहल रही थी तभी दो हथियारबंद लोगों ने उसी समय उनकी हत्या कर दी। वो दो लोग और कोई नहीं बल्कि श्रीमती गांधी के सीख अंगरक्षक थे।
दरअसल दूसरों के भांति ही उनके सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दो अंगरक्षक अपने धार्मिक स्थल के अनादर के कारण निराश थे और क्रोधित भी, इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या कर दी।
जिस समय यह घटना घटी थी, पूरे देश में अशांति का माहौल छा गया था। क्योंकि एक प्रधानमंत्री की इस तरह हत्या कर देना पूरे हिंदुस्तान के लिए एक शर्मनाक घटना थी। मुठभेड़ में दोनों हथियारबंद लोगों को उसी वक्त अन्य अंगरक्षकों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया।
इंदिरा गांधी जीवन परिचय – FAQs
इंदिरा गाँधी की हत्या कैसे हुई?
31 अक्टूबर 1984 को, इंदिरा गाँधी को उनके दो अंगरक्षकों ने प्रधानमंत्री के उनके आधिकारिक आवास के बगीचे में नई दिल्ली में 1, सफदरजंग रोड पर गोली मार दी थी, जब वह उनके द्वारा संरक्षित विकेट गेट से गुजर रही थीं।
इंदिरा गाँधी का जन्म कहाँ हुआ?
इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद, भारत में पिता श्री जवाहरलाल नेहरू और माँ श्रीमती कमला नेहरू के यहाँ हुआ था।
इंदिरा गाँधी के पिता कौन थे?
इंदिरा गाँधी के पिता का नाम जवाहर लाल नेहरू था।
इंदिरा गाँधी का असली नाम क्या था?
इंदिरा गाँधी का असली नाम इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी था।
इंदिरा गाँधी के पति कौन थे?
उन्होंने फिरोज गांधी से 26 मार्च 1942 को शादी की थी।
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अंतिम शब्द
तो दोस्तों आज हमने इंदिरा गांधी जीवन परिचय (Indira Gandhi Biography In Hindi) के बारे में विस्तार से जाना हैं और मैं आशा करता हूँ कि आप को यह पोस्ट पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा।
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