नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हूँ कि आप सभी अच्छे ही होंगे. तो दोस्तों पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए? यह प्रश्न अक्सर लोगो के मन में आता है, जो लोग पीलिया से ग्रषित है उनको और उनके परिवार जानो को यह जानने में काफी रूचि होती है, तो चलिए आज के इस आर्टिकल में मैं आप को बता ही देता हु की आखिर पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए?
पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए?
रक्तरस में पित्तरंजक (Billrubin) नामक एक रंग होता है, जिसके आधिक्य से त्वचा और श्लेष्मिक कला में पीला रंग आ जाता है। इस दशा को कामला या पीलिया (Jaundice) कहते हैं।
सामान्यत: रक्तरस में पित्तरंजक का स्तर 1.0 प्रतिशत या इससे कम होता है, किंतु जब इसकी मात्रा 2.5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब कामला के लक्षण प्रकट होते हैं। कामला स्वयं कोई रोगविशेष नहीं है, बल्कि कई रोगों में पाया जानेवाला एक लक्षण है। यह लक्षण नन्हें-नन्हें बच्चों से लेकर 80 साल तक के बूढ़ों में उत्पन्न हो सकता है। यदि पित्तरंजक की विभिन्न उपापचयिक प्रक्रियाओं में से किसी में भी कोई दोष उत्पन्न हो जाता है तो पित्तरंजक की अधिकता हो जाती है, जो कामला के कारण होती है।
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रोग के लक्षण
- ए प्रकार के पीलिया और नान ए व नान बी तरह के पीलिया रोग की छूत लगने के तीन से छः सप्ताह के बाद ही रोग के लक्षण प्रकट होते हैं।
- बी प्रकार के पीलिया (वायरल हैपेटाइटिस) के रोग की छूत के छः सप्ताह बाद ही रोग के लक्षण प्रकट होते हैं।
पीलिया रोग के कारण
- रोगी को बुखार रहना।
- भूख न लगना।
- चिकनाई वाले भोजन से अरूचि।
- जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियाँ होना।
- सिर में दर्द होना।
- सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।
- आंख व नाखून का रंग पीला होना।
- पेशाब पीला आना।
- अत्यधिक कमजोरी और थका थका सा लगना
- कमर के दाहिनी ओर दर्द होना
रोग किसे हो सकता है?
यह रोग किसी भी अवस्था के व्यक्ति को हो सकता है। हाँ, रोग की उग्रता रोगी की अवस्था पर जरूर निर्भर करती है। गर्भवती महिला पर इस रोग के लक्षण बहुत ही उग्र होते हैं और उन्हे यह ज्यादा समय तक कष्ट देता है। इसी प्रकार नवजात शिशुओं में भी यह बहुत उग्र होता है तथा जानलेवा भी हो सकता है।
बी प्रकार का वायरल हैपेटाइटिस व्यावसायिक खून देने वाले व्यक्तियों से खून प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को और मादक दवाओं का सेवन करने वाले एवं अनजान व्यक्ति से यौन सम्बन्धों द्वारा लोगों को ज्यादा होता है।
रोग की जटिलताऍं
ज्यादातार लोगों पर इस रोग का आक्रमण साधारण ही होता है। परन्तु कभी-कभी रोग की भीषणता के कारण कठिन लीवर (यकृत) दोष उत्पन्न हो जाता है।
बी प्रकार का पीलिया (वायरल हैपेटाइटिस) ज्यादा गम्भीर होता है इसमें जटिलताएं अधिक होती है। इसकी मृत्यु दर भी अधिक होती है।
उपचार
- रोगी को शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लेना चाहिये।
- बिस्तर पर आराम करना चाहिये घूमना, फिरना नहीं चाहिये।
- लगातार जाँच कराते रहना चाहिए।
- डॉक्टर की सलाह से भोजन में प्रोटिन और कार्बोज वाले प्रदार्थो का सेवन करना चाहिये।
- नीबू, संतरे तथा अन्य फलों का रस भी इस रोग में गुणकारी होता है।
- वसा युक्त गरिष्ठ भोजन का सेवन इसमें हानिकारक है।
- चॉवल, दलिया, खिचडी, थूली, उबले आलू, शकरकंदी, चीनी, ग्लूकोज, गुड, चीकू, पपीता, छाछ, मूली आदि कार्बोहाडेट वाले प्रदार्थ हैं इनका सेवन करना चाहिये.
Disclaimer : यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। HindiQueries.Com इस जानकारी की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
Conclusion
मैं उम्मीद करता हूँ कि अब आप लोगों को पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए? से जुड़ी सभी जानकरियों के बारें में पता चल गया होगा। यह लेख आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट्स बॉक्स में कमेंट्स लिखकर जरूर बतायें। साथ ही इस लेख को दूसरों के जरूर share करें, ताकि सबको इसके बारे में पता चल सके। धन्यवाद!
This Article Helps Them A lot.Thank You For Sharing So Well
Sir mera 1.8 rheta h kya karu