चींटी और टिड्डा की कहानी | Chiti Aur Tidda Ki Kahani

नमस्कार दोस्तों! आज मैं आप के लिए लेकर आया हूँ चींटी और टिड्डा की कहानी (Chiti Aur Tidda Ki Kahani), जिसे पढ़ कर आप को जरुर से आनंद आएगा और कुछ नया सिखने को भी मिलगे।

तो चलिए शुरू करते हैं।

चींटी और टिड्डा की कहानी (Chiti Aur Tidda Ki Kahani)

चींटी और टिड्डा की कहानी | Chiti Aur Tidda Ki Kahani
चींटी और टिड्डा की कहानी | Chiti Aur Tidda Ki Kahani

एक समय की बात है। गर्मी के दिन थे और एक चींटी अपने लिए अनाज इकट्ठा करने में मेहनत कर रही थी। दरअसल, वह सोच रही थी कि क्यों न सूरज निकलने से पहले ही अपना काम खत्म कर लिया जाए।

चींटी इस काम में कई दिनों से लगी हुई थी। वह प्रतिदिन खेत से अनाज एकत्र कर अपने बिल में जमा करती थी। वहीं, पास में ही एक टिड्डी कूद रही थी। वह खुशी से नाच रहा था। गीत गाकर जीवन का आनंद ले रहा था।

पसीने से लथपथ चींटी दाना ढोते-ढोते थक चुकी थी। वह अपनी पीठ पर दाना लेकर बिल की ओर जा रही थी, तभी उसके सामने टिड्डा उछल पड़ा। बोला, प्यारी चींटी… इतनी मेहनत क्यों कर रही हो। चींटी ने टिड्डे को नज़रअंदाज़ कर दिया और उसे खेत से उठा कर ले गई और एक-एक दाना अपने बिल में जमा करती रही।

मस्ती में डूबा टिड्डा हंसता है और चींटी का मजाक उड़ाता है। उछल-उछल कर उसके रास्ते में आकर कहता, प्यारी चींटी, आ मेरा गीत सुन। क्या शानदार मौसम है। ठंडी हवा चल रही है। सुनहरी धूप है।

मेहनत करके क्यों इस खूबसूरत दिन को बर्बाद कर रहे हो। टिड्डे की हरकतों से चींटी परेशान हो गई। उन्होंने समझाते हुए कहा, सुनो टिड्डी-ठंड का मौसम कुछ दिनों बाद ही आने वाला है। फिर खूब बर्फ गिरेगी। कहीं अनाज नहीं मिलेगा। मेरी सलाह है कि आप अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करें।

धीरे-धीरे गर्मी का मौसम खत्म हो गया है। मस्ती में डूबे टिड्डे को पता ही नहीं चला कि गर्मियां कब खत्म हो गईं। बारिश के बाद ठंडक आ गई। कोहरे और बर्फबारी के कारण धूप मुश्किल से दिखाई दे रही थी। टिड्डे ने अपने खाने के लिए अनाज नहीं इकट्ठा किया था। हर तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी। टिड्डा भूख से तड़पने लगा।

टिड्डी दल के पास बर्फबारी और ठंड से बचने का भी कोई इंतजाम नहीं था। तभी उसकी नजर चींटी पर पड़ी। चींटी खुशी-खुशी अपने बिल में रखे अनाज को खा रही थी। तब टिड्डे को अहसास हुआ कि उसे समय बर्बाद करने का फल मिल गया है। चींटी ने फिर से भूख और ठंड से तड़प रहे टिड्डे की मदद की।

उसे खाने के लिए कुछ अनाज दिया। चींटी ने ठंड से बचने के लिए ढेर सारी घास और तिनके जमा कर रखे थे। उसने टिड्डे को भी अपना घर बनाने को कहा।



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अंतिम शब्द

तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की आपको अपना काम पूरी मेहनत और लगन से करना चाहिए। लोग उस समय आपका मजाक उड़ा सकते हैं, लेकिन बाद में वे आपकी प्रशंसा करेंगे।

मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको चींटी और टिड्डा की कहानी (Chiti Aur Tidda Ki Kahani) पसंद आई होगी। यह लेख आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट्स बॉक्स में कमेंट्स लिखकर जरूर बतायें। साथ ही इस लेख को दूसरों के साथ भी जरूर शेयर करें जो लोग चींटी और टिड्डा की कहानी के बारे में जानना चाहतें हैं, ताकि सबको इसके बारे में पता चल सके। धन्यवाद!

सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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