संविधान किसे कहते हैं? (परिभाषा और प्रकार) | Sanvidhan Kise Kahate Hain

नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम सुधांशु गुप्ता हैं और आज हम संविधान के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं। इस लेख में आपको संविधान किसे कहते हैं (Sanvidhan Kise Kahate Hain), संविधान की परिभाषा, संविधान के प्रकार और संविधान की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानने को मिलने वाला है।

अतः इस लेख को अंत तक पढ़े, चलिए शुरू करते हैं।

संविधान किसे कहते हैं? | Sanvidhan Kise Kahate Hain

संविधान किसे कहते हैं? (परिभाषा और प्रकार) | Sanvidhan Kise Kahate Hain
संविधान किसे कहते हैं?

प्रत्येक राज्य को परिचालित करने के लिए एक पद्धति या व्यवस्था की आवश्यकता होती है जिस पर वह राज्य अपनी सरकार को आधारित करता है। इस व्यवस्था के अभाव में राज्य महज एक अराजक इकाई बनकर रह जाएगा। राजनीति विज्ञान की शब्दावली में इसी व्यवस्था को संविधान (Constitution) कहते हैं।

संविधान द्वारा सम्पूर्ण देश की शासन व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता है। विश्व का प्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है, तथा संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान हमारे प्यारे भारत का है।

सर्वप्रथम श्री सच्चिदानंद सिन्हा भारत की संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। उसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया था। सविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर जी थे और 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से पूरे देश में लागू कर दिया गया था।

Also Read – संविधान दिवस पर निबंध

संविधान की परिभाषा (Sanvidhan Ki Paribhasha)

संविधान शब्द हिंदी के दो शब्दों सम् और विधान (संविधान=सम्+विधान) से मिलकर बना है। इसमें सम् का अर्थ बराबर या समान होता है और विधान का अर्थ नियम या कानून होता है।

इस प्रकार सम्मिलित रूप में यदि संविधान के अर्थ को समझने का प्रयास करें तो संविधान ऐसे नियमों का संग्रह है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है।

परिभाषा (1)- संविधान किसी देश के उन नियमों का सुनिश्चित संग्रह है जिनके आधार पर उस देश का सम्पूर्ण शासन तंत्र संचालित होता है।

परिभाषा (2)- किसी भी देश का संविधान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, तथा शासक के अधिकारों व नागरिकों के हितों की रक्षा करने का मुख्य माध्यम होता है। जिसके द्वारा उस देश के विकास की दिशा निर्धारित होती है।

परिभाषा (3)- अरस्तु के शब्दों मे, ” किसी देश का संविधान उस पद्धति का प्रतीक होता है जो उस देश या राज्य द्वारा अपने लिए अपनाई जाती है।

परिभाषा (4)- जेलिनेक के शब्दों में “संविधान विहीन राज्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती। संविधान के अभाव में राज्य, राज्य न होकर एक प्रकार की अराजकता होगी।”

परिभाषा (5)- संविधान लिखित नियमों का एक ऐसा ग्रन्थ या किताब है जिसे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के (जिन्हें नागरिक कहा जाता है) बीच के आपसी संबन्ध तय होने के साथ -साथ लोगों और सरकार के बीच के सम्बन्ध भी तय होते है।

परिभाषा (6)- गिलक्राइस्ट के शब्दो में  ” संविधान उन समस्त लिखित और अलिखित विधियों और नियमों का संग्रह है जिनके आधार पर किसी देश की शासन व्यवस्था संगठित की जाती है, शासन के विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का विभाजन किया जाता है और उन सिद्धांतों का निर्धारण किया जाता है जिन पर उन शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा।”

परिभाषा (7)- वुल्से के शब्दों मे ” संविधान उन सिद्धांतों का संग्रह है, जिसके अनुसार सरकार की शक्तियों और शासितों के अधिकारों तथा दोनो के बीच संबंधों का समन्वय किया जाता है।”

परिभाषा (8)- ब्राइस के अनुसार,” संविधान ऐसे निश्चित नियमों का संकलन है जिसमें सरकार की कार्यविधि प्रतिपादित होती है और जिनके द्वारा उसका संचालन होता है।

परिभाषा (9)- संविधान एक नियमों का संग्रह है जिसके अनुसार किसी देश का शासन तंत्र संचालित व समन्वयित होता है।

परिभाषा (10)- संविधान वह कानून होता है जो किसी राज्य की शासन प्रणाली को विवेचित करता है। ये देश के सर्वोच्च, सर्वमहत्वपूर्ण अभिलेख होते हैं।

वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेदों से बना है जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखे गए हैं। जिस समय संविधान लागू हुआ, उस समय 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। समय-समय पर संविधान में कई संशोधन किए जाते हैं। भारत के संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में आंशिक रूप से लागू किया गया था।

Also Read – लोकतंत्र किसे कहते हैं?

संविधान के प्रकार

संविधान दो प्रकार के होते हैं – लिखित संविधान और अलिखित संविधान

लिखित संविधान किसे कहते है (What Is Written Constitution)

ऐसा संविधान जिसके अधिकांश या पूर्ण अंश एक या एक से अधिक लेख पत्रों में लिपिबद्ध होते हैं उन्हें लिखित संविधान (Written Constitution) कहते हैं। भारत तथा संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान समेत अन्य कई संविधान इसके उदाहरण हैं।

लिखित संविधान एक औपचारिक दस्तावेज है, जो संवैधानिक समझौते की प्रकृति, राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले नियमों और नागरिकों एवं सरकारों के अधिकारों को एक संहिताबद्ध रूप में परिभाषित करता है।

अलिखित संविधान किसे कहते है? (What Is Unwritten Constitution)

ऐसा संविधान जो किसी प्रपत्र पर लिखे न गए हों अर्थात जो लिखित रूप में मौजूद न हो उन्हें अलिखित संविधान (Unwritten Constitution) कहते हैं।

अलिखित संविधान उन विचार, नियमों, रीति-रिवाजों अथवा लोक- प्रथाओं एवं परंपराओं के समूह को कहते हैं, जिनसे उस देश की शासन व्यवस्था चलाई जाती है। ब्रिटेन ही एक ऐसा देश है, जिसका संविधान अलिखित है और उस संविधान के केवल कुछ ही भाग लिखित रूप से मौजूद हैं।

भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं

  • भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
  • भारतीय संविधान में कुल 177369 शब्द शामिल हैं।
  • भारतीय संविधान कठोरता व लचीलेपन के सम्मिश्रण का अनूठा उदाहरण है।
  • भारतीय संविधान के निर्माण में देश और विदेश, दोनों के स्त्रोत लिए गए हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है।
  • “धर्मनिरपेक्ष देश” शब्द का अर्थ यह है, कि भारत में मौजूद सभी धर्मों को देश में एक समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा।
  • संविधान के अनुसार भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है।
  • भारत का संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली प्रदान करता है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट है।
  • यद्यपि भारतीय संविधान संघीय है और इसने दोहरी राजपद्धति (केंद्र एवं राज्य) को अपनाया है, लेकिन इसमें केवल एकल नागरिकता की व्यवस्था की गई है अर्थात् भारतीय नागरिकता।
  • मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) के अंतर्गत संविधान में शामिल किया गया है।
  • देश में आपातकाल की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्थिति को देखते हुए कर सकते हैं आपातकाल घोषित करने से पहले राष्ट्रपति को कैबिनेट से लिखित रूप में सिफारिश लेनी पड़ती है। अर्थात राष्ट्रपति स्वयं के निर्णय से आपातकाल घोषित नहीं कर सकते है।
  • देश में रहने वाले वयस्क अर्थात 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को अपनें मताधिकार का प्रयोग करनें का अधिकार प्राप्त है।

संविधान की आवश्यकता क्यों है?

संविधान की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है –

  • यह साथ रह रहे लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है और सरकार और नागरिकों के आपसी सम्बन्धों को निर्धारित करता है।
  • संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार है।
  • संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार है
  • संविधान ही सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत है।
  • संविधान अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।

संविधान से सम्बंधित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

भारत का संविधान बनाने में कितने लोग थे?

विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान (भारत का संविधान) के निर्माण के लिए देश भर से 389 सदस्य चुने गए थे।

संविधान की धारा कितनी है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) में धाराओं की संख्या 511 है।

भारत के संविधान का पिता कौन है?

डॉ भीमराव अंबेडकर जी को भारतीय संविधान का निर्माता माना जाता है।

भारत का संविधान कब बना था?

भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्‍बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ।

भारत के संविधान की रक्षा कौन करता है?

किसी भी देश के संविधान की रक्षा उस देश के सर्वोच्च न्यायालय करते हैं।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज के इस लेख में हमने संविधान किसे कहते हैं (Sanvidhan Kise Kahate Hain), संविधान की परिभाषा, संविधान के प्रकार और संविधान की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जाना हैं। मैं आशा करता हु की आप सभी को यह लेख बेहद पंसद आई होगी।

यदि आप को इस लेख से थोड़ी भी जानकारी मिली हो तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करे। आर्टिकल को अंत तक पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment