Hindi To Sanskrit Translation : संस्कृत भाषा भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन भाषा है। संस्कृत को देववाणी यानि देवताओं द्वारा बोली जाने वाली भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा एक हिंद-आर्य भाषा है। भारत की अधिकांश भाषाओं जैसे- हिंदी, बंगाली, मराठी, सिंधी, पंजाबी, नेपाली आदि की उत्पत्ति इसी से हुई है।
हिंदू धर्म के सभी पौराणिक ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। बौद्ध या जैन धर्म के कुछ ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। यह भाषा उत्तराखंड की दूसरी राज्य भाषा है। हिंदू धर्म में आज भी संस्कृत भाषा में कई अनुष्ठान किए जाते हैं। कई बच्चे अपने स्कूली जीवन में संस्कृत भाषा पढ़ते हैं। बच्चों के साथ कई बुजुर्ग जो किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उनके लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान होना जरूरी है।
बहुत से लोगों को संस्कृत का अनुवाद करने में कठिनाई होती है। इसलिए आज हम हिंदी से संस्कृत में अनुवाद (Hindi To Sanskrit Translation) करते हैं। हिंदी से संस्कृत अनुवाद आ गया है। तो चलिए शुरू करते है हिंदी से संस्कृत में अनुवाद (Hindi To Sanskrit Translation).
क्रिया का प्रयोग संस्कृत में (Hindi To Sanskrit Translation)
कर्ता जो कर्म करता है उसे क्रिया कहते हैं। संस्कृत भाषा में क्रिया के स्थान पर धातु का प्रयोग होता है। धातु क्रिया का मूल शब्द है। जैसे- गच्छति क्रिया ‘गम’ धातु से बनती है।
धातु से क्रिया के रूप (Hindi To Sanskrit Translation)
धातु | क्रिया (वर्तमानकाल) | अर्थ |
अट् | अटति | घूमता है |
अर्ज़ | अर्जयति | कमाता है |
अत् | अतति | घूमता है |
अ | अर्चयति | पूजा करता है |
अव + गम् | अवगच्छति | समझता है |
अधि + गम् | अधिगच्छति | प्राप्त करता है |
अनु + गम् | अनुगच्छति | पीछे पीछे चलता है |
अति + चर् | अतिचरति | उल्लंघन करता है |
अभि + चर् | अभिचरति | घात करता है |
अनु + चर् | अनुचरति | सेवा करता है |
अप + सृ + चर् | अपसारयति | हटाता है |
उप + कृ | उपकरोति | उपकार करता है |
अव + मन् | अवमानवर्ति | अपमान करता है |
अनु + तप् | अनुतपति | पश्चाताप करता है |
अनु + लप् | अनुलपति | इन्कार करता है |
अव + तृ | अवतरति | उतरता है |
अनु + धाव् | अनुधावति | पीछा करता है |
अद् | अत्ति | खाता है |
अर्प | अर्पयति | अर्पित करता है |
अर्ह | अर्हयति | पूजा करता है |
आ + तृ | आतरति | नाव से पार करता है |
आ + चर् | आचरति | आचरण करता है |
आ + गम् | आगच्छति | आता है |
आ + नी | आनयति | लाता है |
आ + कृ + णिच् | आकारयति | बुलाता है |
आ + कृष् | आकर्षति | खींचता है |
आ + दिश् | आदिशति | आज्ञा देता है |
अद् + णिच् | आदयति | खिलाता है |
आ + कृ + णिच् | शाकारयति | बुलाता है |
इष | इच्छति | चाहता है |
इक्ष् | इक्षते | देखता है |
उत् + गम् | उद्गच्छति | उड़ता है |
कर्ता का प्रयोग संस्कृत में (Hindi To Sanskrit Translation)
संज्ञा और सर्वनाम के जिस रूप से किसी क्रिया को किया जाता है, उसे विषय कहते हैं। कर्ता का अर्थ है कर्म करने वाला। पहला कर्ता कारक में विभाजन है। प्रथमा विभक्ति का उपयोग किसी शब्द को समझने के लिए, लिंग को व्यक्त करने के लिए, परिमाण (वजन माप) और शब्द (संख्या) को इंगित करने के लिए और पता करने के लिए किया जाता है।
कर्ता और क्रिया का संस्कृत में प्रयोग (Hindi To Sanskrit Translation)
क्रिया सदैव अपने कर्ता के अनुसार ही वाक्य में प्रयुक्त होती है। कर्ता जिस पुरुष, वचन, काल, तथा लिंग का होता है, क्रिया भी उसी पुरुष, वचन, कल, तथा लिंग की होती है। निचे कुछ कर्ता के उपयोग सभी वचन में दिए गए है।
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | सः (वह) | तौ (वे दोनों) | ते (वे सब) |
मध्यम पुरुष | त्वं (तुम) | युवां (तुम दोनों) | यूयं (तुम सब) |
उत्तम पुरुष | अहं (मैं) | आवां (हम दोनों) | वयं (हम सब) |
उदाहरण: मैं जाता हूँ – अहं गच्छामि
ऊपर दिए गए वाक्य में कर्ता ‘अहं’ और क्रिया ‘गच्छ’ है।
हिंदी से संस्कृत में अनुवाद (Hindi To Sanskrit Translation)
मैं जाता हूँ – अहम् गच्छामि
अहम् – क्या है ? अहम् का अर्थ है – मैं एकवचन। मैं अर्थात् कर्ता, कर्ता वह होता है जो किसी काम को करता है, मैं, वह, तुम, हम सब. राम, योगेश, प्रिया यह सभी किसी काम को करते है, और सर्वनाम कहलाते है । अहम् – उत्तम पुरुष
मि- उत्तम पुरुष – एकवचन – परस्मैपद वर्तमान काल
गच्छ – धातु गच्छ – जाना । एक क्रिया है – क्रिया उसे कहते है जिस काम को किया जाता है , उसे क्रिया कहते है जैसे – जाना, खाना, पीना, दौड़ना, खेलना ये सभी क्रियाएँ है ।
अब आप देखिये – अहम् – क्या है ? कर्ता
गच्छ – क्या है ? क्रिया। जब हम हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते है, तब कर्ता और क्रिया दोनों ही – एक ही वचन तथा एक ही काल, एक ही पुरुष, एक ही पद के होना चाहिये। यदि कर्ता एक वचन है तो पुरुष भी एक वचन और क्रिया भी एक ही वचन की होगी। इस प्रकार अहम् गच्छामि, दोनों एक वचन है, एक ही पुरुष है उत्तम पुरुष।
अब हम मिश्रित मिले जुले वाक्यों का प्रयोग करेगें । कुछ शब्दार्थ
जैसे – यदा = जब, तदा = तब, तत्र = वहाँ, यथा = जैसे, तथा = वैसे,
अपि = भी, च = और, किम् = क्या ।
हिन्दी | संस्कृत |
जब बालक पढ़ता है – तब वह लिखता है | यदा बालक; पठति, तदा सः लिखति। |
हम दोनों भी वहाँ जाते है। | आवाम् अपि तत्र गच्छावः। |
हम सब भी हमेशा प्रातःकाल घुमते है। | वयम् अपि सदा प्रातः भ्रमामः। |
लोग जैसे आते है, वे वैसे जाते है। | जनाः यथा आगच्छन्ति, ते तथा गच्छन्ति। |
क्या तुम पढ़ते अथवा लिखते हो? | किम् त्वम् पठसि लिखसि वा। |
तुम सब कहाँ जाते हो? | युयम् कुत्र गच्छथ? |
हम सब भी वहाँ जाते है। | वयम् अपि तत्र गच्छामः। |
मैं जब खेलता हूँ तब नही पढ़ता हूँ। | अहम् यदा क्रिड़ामि तदा न पठामि। |
छात्र पढ़ते और दौड़ते है। | छात्राः पठन्ति धावन्ति च। |
यह भी जानें : प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
1. वर्तमान काल (Present Tense)
Hindi Sentence | Sanskrit Sentence |
बालक हँसता है। | बालकः हँसति । |
दो बालक हँसते हैं। | बालकौ हँसतः। |
सब बालक हँसते हैं। | बालका: हँसन्ति। |
तुम कहाँ जाते हो? | त्वं कुत्र गच्छसि? |
तुम दोनों कहाँ जाते हो? | युवां कुत्र गच्छथः? |
तुम सब कहाँ रहते हो? | यूयं कुत्र निवसथ:? |
मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। | अहं पुस्तकं पठामि। |
हम दोनों भोजन करते हैं। | आवाम् भोजनं कुर्यावः। |
हम सब पुस्तकें पढ़ते हैं। | वयं पुस्तकानि पठामः। |
पत्ते और फल गिरते हैं। | त्राणि फलानि च पतन्ति। |
ऊपर के वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखो। कर्ता के वचन एवं पुरुष के अनुसार ही क्रिया के पुरुष एवं वचन हैं।
2. भूतकाल (Past Tense)
Hindi Sentence | Sanskrit Sentence |
शीला ने पुस्तक पढ़ी। | शीला पुस्तकम् अपठत्। |
उन दोनों ने कहा। | तौ अवदताम्। |
मैं दौड़ा। | अहम् अधावम् । |
तुम दोनों खेले। | युवाम् अक्रीडतम् । |
साधु ने क्या पूछा? | साधु किम् अपृच्छत्? |
उपरोक्त वाक्यों में क्रिया भूतकाल (लङ् लकार) में प्रयुक्त हुई है तथा कर्ता के वचन एवं पुरुष के अनुसार क्रिया प्रयोग हुई है।
3. सामान्य भविष्यत् काल या लृट् लकार वाक्य (Simple Future Tense or Sentence)
Hindi Sentence | Sanskrit Sentence |
तुम कब जाओगे? | त्वं कदा गमिष्यसि? |
हम खेलेंगे। | वयं क्रीडिष्यामः। |
पत्ते गिरेंगे। | पत्राणि पतिष्यन्ति। |
बन्दर दौड़ेगे। | वानराः धावणिष्यन्ति। |
घोड़े नहीं दौड़ेगे। | अश्वाः न धावणिष्यन्ति। |
छात्र शाम को नहीं खेलेंगे। | छात्राः सायंकाले न खेलिष्यन्ति। |
पके हुए फल गिरेंगे। | क्वानि फलानि पतिष्यन्ति। |
मेहमान कल आयेंगे। | अतिथयः श्वः आगमिष्यन्ति। |
तुम सब वहाँ खेलोगे। | यूयं तत्र खेलियष्यथ। |
क्या आप यहाँ नहीं आयेंगे? | किं भवान् अत्र न आगमिष्यसि? |
उपरोक्त वाक्यों में धातु के रूप लृट् लकार के अनुसार कर्ता के वचन एव पुरुष के अनुसार प्रयुक्त हुए हैं।
4. आज्ञार्थक वाक्य (Imperative Sentence)
Hindi Sentence | Sanskrit Sentence |
वह वहाँ से चला जाये। | सः तत्रतः गच्छतु। |
वे दोनों पुस्तक पढ़े। | तौ पुस्तकम् पठताम्। |
वे सब खेलें। | ते क्रीडन्तु। |
तुम आसन पर बैठो। | त्वं आसने तिष्ठ। |
तुम दोनों यहाँ आओ। | युवाम् अंत्र आगच्छताम्। |
हम सब रक्षा करें। | वयं रक्षाम्। |
उपरोक्त वाक्यों में क्रिया कर्ता के वचन और पुरुष के अनुसार (लोट् लकार) में हैं।
अनुवाद हेतु कुछ अन्य हिन्दी वाक्य और दिये जा रहे हैं (Some other Hindi sentences for translation are being given):
Hindi Sentence | Sanskrit Sentence |
वह बेल से फूल चुनता है। | सः लतायाः पुष्पाणि चिनोति। |
गुरु शिष्य को धर्म की बात बताता है। | गुरु शिष्यं धर्म शास्ति। |
ग्वाला गाय से दूध दुहता है। | गोप: गां पय: दोग्धि। |
दरिद्र राजा से कपड़ा माँगता है। | दरिद्रः राजाम् वस्त्रं याचते। |
वह चावलों से भात पकाता है। | सः तण्दुलान् ओदनं पचति। |
राजा चोर को सौ रुपये जुर्माना करता है। | राजा चोरः शतं रुपाणि दंडयति। |
चोर राजा के हजार रुपये चुराता है। | चोर: राजन् सहस्रं रुपाणि चोरयति। |
वह गाँव को बकरी ले जाता है। | सः ग्राममजां नयति। |
चोर कंजूस का धन ले गया। | चोरः कृपणं धनम हरत्। |
लोग धरती से रत्न निकालते हैं। | जना: वसुधां रत्नानि किषयन्ति। |
Read Also : Memes Meaning in Hindi
नीचे तालिका के शब्दों को पढों और फिर इनके ठीक वाक्य बनाओं
ते वर्षति
मेघः लिखथः
मेघः वर्षति
युवाम् लिखथः
युवाम् क्रिड़सि
त्वम् क्रिड़सि
त्वम् धावामि
आवाम् आगच्छावः
आवाम् वसन्ति
छात्रः पठति
छात्रः पठामः
अहम् धावामि
अहम् आगच्छावः
बालकौ गच्छतः
बालकौ पठति
युयम् लिखथः
युयम् गच्छतः
वयम् पठामः
वयम् खादतः