नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी? मैं आशा करता हूँ कि आप सभी अच्छे ही होंगे। आज हम आप को सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी (Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से बतायेंगे।
सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी (Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi)
नाम (Name) | सुभद्रा कुमारी चौहान |
प्रसिद्द (Famous for ) | कवि होने के नाते झाँसी की रानी’ ‘मुकुल’ ‘त्रिधारा’ कविताओं के लिए |
जन्म तारीख (Date of birth) | 16 अगस्त, 1904 |
जन्म स्थान (Place of born ) | निहालपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
गृहनगर (Hometown ) | जबलपुर , मध्य प्रदेश |
मृत्यु तिथि (Date of Death ) | 15 फरवरी, 1948 |
मृत्यु का स्थान (Place of Death) | सिवनी जिला , मध्य प्रदेश |
मृत्यु का कारण (Death Cause) | कार दुर्घटना में मुत्यु |
उम्र( Age) | 43 वर्ष (मृत्यु के समय ) |
शिक्षा (Education) | नौवीं कक्षा पास |
स्कूल (School) | क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल |
पेशा (Profession) | लेखक |
प्रसिद्द रचनाये | झाँसी की रानी’ ‘मुकुल’ ‘त्रिधारा’ |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग( Hair Color) | काला |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
नागरिकता(Nationality) | भारतीय |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | शादीशुदा |
सुभद्रा कुमारी चौहान का प्रारंभिक जीवन
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गाँव में एक संपन्न परिवार में हुआ था । वह जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती थी। उनके पिता का नाम दिलीप चौहान था।
सुभद्रा कुमारी का विद्यार्थी जीवन प्रयाग में गुजरा। उनको बचपन से ही हिंदी साहित्य की कविताये ,रचनाये पढ़ने में बहुत मज़ा आता था। सुभद्रा की सबसे अच्छी दोस्त महादेवी वर्मा थी जो सुभद्रा की तरह की कविताये लिखती थी और प्रसिद्द कवयित्री थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की शिक्षा
उन्होंने शुरू में इलाहाबाद के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की और 1919 में मिडिल-स्कूल की परीक्षा पास की। उसी वर्ष खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से शादी के बाद, वह जबलपुर चली गईं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का परिवार
पिता का नाम | ठाकुर रामनाथ सिंह |
पति का नाम | ठाकुर लक्ष्मण सिंह |
बेटियों का नाम | सुधा चौहान और ममता चौहान |
बेटों के नाम | अजय चौहान, विजय चौहान और अशोक चौहान |
सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह
सुभद्रा कुमारी की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गयी थी। साल 1919 में जब सुभद्रा मात्र सोलह साल की थी तब उनकी शादी मध्यप्रदेश राज्य में खंडवा जिले के रहने वाले ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से कर दी गयी। शादी के बाद सुभद्रा कुमारी मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में आ गयी।
शादी के बाद सुभद्रा कुमारी के पांच बच्चे हुए जिनका नाम सुधा चौहान, अजय चौहान, विजय चौहान, अशोक चौहानत और ममता चौहान था। उनकी बेटी सुधा चौहान की शादी प्रेमचंद के बेटे अमृतराय से हुई थी , सुधा चौहान ने अपनी माँ की जीवनी लिखी थी जिसका नाम था ‘मिले तेज से तेज’।
सुभद्रा कुमारी चौहान का करियर
सुभद्रा कुमारी चौहान बहुत ही उत्तम दर्जे की महान कवयित्री थी और इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की जब उनकी उम्र केवल नौ साल थी तब उन्होंने एक कविता ”नीम” लिखी थी और उनकी इस कविता को पत्रिका ”मर्यादा”ने प्रकाशित किया था।
सुभद्रा को बचपन से ही कविताये लिखने का शौक था लेकिन उस समय कविता लिखने के पैसे न मिलने के कारण उन्होंने कविताओं के साथ साथ कहानियाँ लिखना भी शुरू कर दिया था ताकि कहानियो के बहाने से पैसे कमा सके।
उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताये लिखी ,उनकी सबसे ज्यादा प्रसिद्द कविता ” झाँसी की रानी” है, सुभद्रा कुमारी ने रानी लक्ष्मी बाई की जिंदगी के बारे में बताते हुए बहुत ही बढ़िया ढंग से कविता लिखी।
झाँसी की रानी
”सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”।
झाँसी की रानी की कविता हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पढ़ी और गाए जाने वाली कविताओं में से एक है. झाँसी की रानी की कविता में 1857 की क्रांति में उनकी भागीदारी के बारे बताया है की कैसे उन्होंने अंग्रेजो से मुकाबला किया था।
कविता हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी और गाई जाने वाली कविताओं में से एक है। यह और उनकी अन्य कविताएँ, वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा, खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन की बात करती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
असहयोग आंदोलन में भाग लेना
1921 में, सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए । वह नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही थीं और 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उन्हें दो बार जेल भी हुई थी।
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं
उन्होंने लगभग 88 कविताओं और 46 कहानियों की रचना की।
किसी कवि की कोई कविता इतनी अधिक लोकप्रिय हो जाती है कि शेष कविताई प्रायः गौण होकर रह जाती है। बच्चन की ‘मधुशाला’ और सुभद्रा जी की इस कविता के समय यही हुआ। यदि केवल लोकप्रियता की दृष्टि से ही विस्तार करें तो उनकी कविता पुस्तक ‘मुकुल’ 1930 के छह संस्करण उनके जीवन काल में ही हो जाना कोई सामान्य बात नहीं है।
इनका पहला काव्य-संग्रह ‘मुकुल’ 1930 में प्रकाशित हुआ।
इनकी चुनी हुई कविताएँ ‘त्रिधारा’ में प्रकाशित हुई हैं।
‘झाँसी की रानी’ इनकी बहुचर्चित रचना है।
राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी और जेल यात्रा के बाद भी उनके तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुए-
‘बिखरे मोती (1932 ),
उन्मादिनी (1934),
सीधे-सादे चित्र (1947 )।
इन कथा संग्रहों में कुल 38 कहानियाँ (क्रमशः पंद्रह, नौ और चौदह)। सुभद्रा जी की समकालीन स्त्री-कथाकारों की संख्या अधिक नहीं थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन
14 फरवरी को उन्हें नागपुर में शिक्षा विभाग की मीटिंग में भाग लेने जाना था। डॉक्टर ने उन्हें रेल से न जाकर कार से जाने की सलाह दी। 15 फरवरी 1948 को दोपहर के समय वे जबलपुर के लिए वापस लौट रहीं थीं। उनका पुत्र कार चला रहा था। सुभद्रा ने देखा कि बीच सड़क पर तीन-चार मुर्गी के बच्चे आ गये थे।
उन्होंने अचकचाकर पुत्र से मुर्गी के बच्चों को बचाने के लिए कहा। एकदम तेज़ी से काटने के कारण कार सड़क किनारे के पेड़ से टकरा गई। सुभद्रा जी ने ‘बेटा’ कहा और वह बेहोश हो गई। अस्पताल के सिविल सर्जन ने उन्हें मृत घोषित किया। उनका चेहरा शांत और निर्विकार था मानों गहरी नींद सो गई हों। 16 अगस्त 1904 को जन्मी सुभद्रा कुमारी चौहान का देहांत 15 फरवरी 1948 को 44 वर्ष की आयु में ही हो गया। एक संभावनापूर्ण जीवन का अंत हो गया।
उनकी मृत्यु पर माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखा कि सुभद्रा जी का आज चल बसना प्रकृति के पृष्ठ पर ऐसा लगता है मानो नर्मदा की धारा के बिना तट के पुण्य तीर्थों के सारे घाट अपना अर्थ और उपयोग खो बैठे हों। सुभद्रा जी का जाना ऐसा मालूम होता है मानो ‘झाँसी वाली रानी’ की गायिका, झाँसी की रानी से कहने गई हो कि लो, फिरंगी खदेड़ दिया गया और मातृभूमि आज़ाद हो गई।
सुभद्रा जी का जाना ऐसा लगता है मानो अपने मातृत्व के दुग्ध, स्वर और आँसुओं से उन्होंने अपने नन्हे पुत्र को कठोर उत्तरदायित्व सौंपा हो। प्रभु करे, सुभद्रा जी को अपनी प्रेरणा से हमारे बीच अमर करके रखने का बल इस पीढ़ी में हो।
Also Read:
- पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय
- मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
- कबीर दास का जीवन परिचय
- महात्मा गांधी का जीवन परिचय
- डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय
सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी: FAQs
सुभद्रा कुमारी चौहान कौन है?
सुभद्रा कुमारी चौहान एक बहुत ही प्रसिद्द कवयित्री थी।
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता कौन है?
उनकी कविताओं में ‘मुकुल’, कहानी संग्रह ‘बिखरे मोती’, ‘सीधे-सादे चित्र और ‘चित्रारा आदि प्रसिद्द है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर गाँव में हुआ था।
सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का नाम क्या था?
सुभद्रा कुमारी चौहान के पति का नाम ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान था।
सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे चर्चित कविता कौन सी है?
सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे चर्चित कविता ”झाँसी की रानी” है।
मेरी प्यारी हिंदी कविता की कवयित्री का क्या नाम है?
मेरी प्यारी हिंदी कविता की कवयित्री का नाम सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं की क्या विशेषता थी?
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओ में राष्ट्रीय आंदोलन, स्त्रियों की स्वाधीनता, जातियों का उत्थान आदि का वर्णन था।
सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कब हुईं?
15 फरवरी,1948 को एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
अंतिम शब्द
तो दोस्तों आज हमने सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी (Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जाना हैं और मैं आशा करता हूँ कि आप को यह पोस्ट पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा।
यदि आप को यह लेख पसंद आया हैं तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें, धन्यवाद।