संसाधन किसे कहते हैं? (परिभाषा और प्रकार) | Sansadhan Kise Kahate Hain

नमस्कार दोस्तों! इस लेख में आपको संसाधन किसे कहते हैं (Sansadhan Kise Kahate Hain), संसाधन क्या है (Sansadhan Kya Hai), संसाधन की परिभाषा (Sansadhan Ki Paribhasha), संसाधन कितने प्रकार के है (Sansadhan Ke Prakar), आदि के बारे में विस्तार से जानने को मिलने वाला हैं।

अतः आर्टिकल को अंत तक पढ़े और हो सके तो अपने दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें। चलिए शुरू करते हैं।

संसाधन किसे कहते हैं? (परिभाषा और प्रकार) | Sansadhan Kise Kahate Hain
संसाधन किसे कहते हैं? (परिभाषा और प्रकार) | Sansadhan Kise Kahate Hain

संसाधन किसे कहते हैं? | Sansadhan Kise Kahate Hain

संसाधन (Resource) एक ऐसा स्रोत है जिसका उपयोग मनुष्य अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए करता है। संसाधन कुछ भी हो सकता है, हवा से लेकर सोने के आभूषण तक सब कुछ संसाधन ही है। मनुष्य संसाधन का उपयोग लाभ प्राप्ति और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए करता हैं।

मानव के विकास में संसाधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। घर के निर्माण में उपयोग होने वाली लकड़ी लाकड`से लेकर प्रकाश से उत्सर्जित उर्जा तक ये सभी संसाधन हैं।

संसाधन व्यवसाय का एक अनिवार्य तत्व हैं, इसमें भूमि, पूंजी, सामग्री, मशीनें, समय, ऊर्जा, जनशक्ति, प्रबंधन, ज्ञान, विशेषज्ञता और सूचना शामिल हैं।

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संसाधन क्या है? | Sansadhan Kya Hai

ऊपर हमने जाना की संसाधन किसे कहते हैं, चलिए अब संसाधन की परिभाषा (Sansadhan Ki Paribhasha) पर भी एक नजर डाल लेते हैं।

  • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार- “भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं।”
  • जेम्स फिशर के शब्दों में- “संसाधन वह कोई भी वस्तु हैं जो मानवीय आवश्यकतों और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।”
  • जिम्मर मैन के अनुसार-“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषतायें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा उपयोगिता प्रदान की जाती हैं।”

संसाधन कितने प्रकार के है? | Sansadhan Ke Prakar

अब तक हमने जाना की संसाधन किसे कहते है और संसाधन की परिभाषा क्या हैं, चलिए अब जान लेते हैं की आखिर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं।

संसाधन को विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. उत्पत्ति के आधार पर
  2. समाप्यता के आधार पर
  3. स्वामित्व के आधार पर
  4. विकास के स्तर के आधार पर

चलिए अब संसाधन के प्रकारो के बारे में विस्तार से जानते है।

1. उत्पत्ति के आधार पर संसाधन

उत्पत्ति के आधार पर संसाधन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

  • जैव संसाधन – इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन में व्याप्त होता है, जैसे – मनुष्य, प्राणिजात, वनस्पतिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि! 
  • अजैव संसाधन – वे सभी संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने होते हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं! जैसे – चट्टान, धातु आदि!

2. समाप्यता के आधार पर संसाधन

समाप्यता के आधार पर संसाधन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

  • नवीकरणीय संसाधन – वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीनीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरणीय अथवा पुन: पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है! उदाहरण – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, वन और वन्य जीव आदि।
  • अनवीकरणीय संसाधन – इन संसाधनों का विकास एक लंबे भूवैज्ञानिक अंतराल में होता है! खनिज और जीवाश्म ईंधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण है! इसके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं! इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुओं पुनः चक्रीय हैं तथा कुछ संसाधन जैसे जीवाश्म ईंधन अचक्रीय है एवं एक बार प्रयोग के साथ समाप्त हो जाते हैं।

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3. स्वामित्व के आधार पर संसाधन

स्वामित्व के आधार पर संसाधन निम्नलिखित 4 प्रकार के होते हैं –

  • व्यक्तिगत संसाधन – वैसे संसाधन, जो व्यक्तियों के निजी स्वामित्व में हों, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे घर, व्यक्तिगत तालाब, व्यक्तिगत निजी चारागाह, व्यक्तिगत कुँए आदि।
  • सामुदायिक संसाधन – वैसे संसाधन, जो गाँव या शहर के समुदाय अर्थात सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हों, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक खेल का मैदान, सार्वजनिक चरागाह, श्मशान, सार्वजनिक तालाब, नदी, आदि।
  • राष्ट्रीय संसाधन – वैसे सभी संसाधन जो राष्ट्र की संपदा हैं, राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे सड़कें, नदियाँ, तालाब, बंजर भूमि, खनन क्षेत्र, आदि।
  • अंतर्राष्ट्रीय संसाधन – तटरेखा से 200 समुद्री मील के बाद खुले महासागर तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत आते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग बिना अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहमति के नहीं किया जा सकता है।

4. विकास के स्तर के आधार पर संसाधन

विकास के स्तर के आधार पर संसाधन निम्नलिखित 4 प्रकार के होते हैं –

  • संभावी संसाधन – वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- राजस्थान तथा गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा की अपार संभावना है।
  • विकसित संसाधन – वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए प्रभावी तकनीकि उपलब्ध हैं तथा उनके उपयोग के लिए सर्वेक्षण, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।
  • भंडार – वैसे संसाधन जो प्रचूरता में उपलब्ध हैं परंतु सही तकनीकि के विकसित नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है, भंडार कहलाते हैं। जैसे- वायुमंडल में हाइड्रोजन उपलब्ध है, जो कि उर्जा का एक अच्छा श्रोत हो सकता है, परंतु सही तकनीकि उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
  • संचित कोष – वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए तकनीकि उपलब्ध हैं, लेकिन उनका उपयोग अभी आरंभ नहीं किया गया है, तथा वे भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रखे गये हैं, संचित कोष कहलाते हैं। जैसे- भारत के कई बड़ी नदियों में अपार जल का भंडार है, परंतु उन सभी से विद्युत का उत्पादन अभी प्रारंभ नहीं किया गया है।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों अज हमने संसाधन किसे कहते हैं (Sansadhan Kise Kahate Hain), संसाधन क्या है (Sansadhan Kya Hai), संसाधन की परिभाषा (Sansadhan Ki Paribhasha), संसाधन कितने प्रकार के है (Sansadhan Ke Prakar), आदि के बारे में विस्तार से जाना हैं।

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सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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