इस लेख में हम संस्कृत के श्लोक निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय (Nindak Niyare Rakhiye Aangan Kuti Chhavay) का अर्थ जानेंगे। यदि आप भी संस्कृत के श्लोक निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय (Nindak Niyare Rakhiye Aangan Kuti Chhavay) का अर्थ जानना चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय (Nindak Niyare Rakhiye Aangan Kuti Chhavay)
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।
Nindak Niyare Rakhie Aangan Kutee Chhavaay, Bin Paanee, Saabun Bina, Nirmal Kare Subhaay.
शब्द | अर्थ |
निंदक | ऐसा व्यक्ति जो निंदा करता हो /अवगुणों को चिन्हित करता हो |
नियरे राखिए | निकट रखना चाहिए |
आँगन | आँगन में |
कुटी छवाय | पेड़ पौधों की छांया रखनी चाहिए |
बिन पानी | बगैर पानी के |
साबुन बिना | बगैर साबुन के |
निर्मल करे सुभाय | स्वभाव को निर्मल कर देता है। निंदक व्यक्ति अवगुणों और दोष को रेखांकित और चिन्हित करता है जिससे उनका निराकरण सम्भव हो पाता है। |
दोहे का अर्थ:- जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है।
दोहे का उद्देश्य
इस दोहे में कबीर जी ने कहा है कि व्यक्ति को प्रशंसा करने वालों से सावधान रहना चाहिए और अपनी निंदा करने वालों को अपने पास रखना चाहिए। क्योंकि निंदा सुनकर ही हम अन्दर से अपने आपको स्वच्छ करने का विचार कर सकतें हैं, जो बिना साबुन और बिना पानी के ही साफ हो जाता है।
अंतिम प्रक्रिया
मैं उम्मीद करता हूँ कि अब आप लोगों को निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय (Nindak Niyare Rakhiye Aangan Kuti Chhavay) का अर्थ से जुड़ी सभी जानकरियों के बारें में पता चल गया होगा। यह लेख आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट्स बॉक्स में कमेंट्स लिखकर जरूर बतायें। साथ ही इस लेख को दूसरों के जरूर share करें, ताकि सबको इसके बारे में पता चल सके। धन्यवाद!
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