क्या आप जानते हैं की डीमैट अकाउंट क्या होता है?
सेबी द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार अगर आप शेयर बाजार से शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं तो आपके पास एक डीमैट खाता (Demat Account) होना आवश्यक है। भारत में किसी भी कंपनी के शेयरों को डीमैट अकाउंट के अलावा किसी अन्य रूप में ख़रीदा या बेचा नहीं जा सकता है।
ऐसे में डीमैट अकाउंट क्या है, इसके बारे जानना जरुरी हैं। तो चलिए जानते हैं की आखिर डीमैट अकाउंट क्या होता है (Demat Account Kya Hota Hai) और साथ ही आज के इस आर्टिकल में डीमैट अकाउंट के प्रकार और फायदे के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
अतः चलिए शुरू करते हैं।
डीमैट अकाउंट क्या होता है? | Demat Account Kya Hota Hai
डीमैट अकाउंट एक बैंक खाते की तरह होता है जिसमें आप इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर प्रमाणपत्र और अन्य प्रतिभूतियां रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब है डीमैटरियलाइजेशन अकाउंट, यह शेयर, बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियां, म्यूचुअल फंड, बीमा और ईटीएफ जैसे निवेश को रखने की प्रक्रिया को सरल करता है। इस अकाउंट के जरिए शेयर और उससे जुड़े दस्तावेजों को मेंटेन करने की झंझट दूर हो जाती है।
पहले कोई भी शेयर खरीदने या बेचने पर आपके नाम पर शेयर सर्टिफिकेट जारी किये जाते थे, जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल थी। हर बार शेयर खरीदने या बेचने पर सर्टिफिकेट बनवाना पड़ता था। इस कागजी कार्रवाई को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए, भारत ने 1996 में एनएसई (NSE) पर व्यापार के लिए डीमैट खाता प्रणाली की शुरुआत की।
आज के समय में न कोई कागजी कार्रवाई होती है और न ही कोई भौतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है वह आपके डीमैट खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप में दर्ज हो जाता है।
यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करना चाहते हैं, तो एक डीमैट खाता अनिवार्य है। आपके द्वारा किए गए ट्रेडों और लेनदेनों के इलेक्ट्रॉनिक निपटान के लिए डीमैट खाता संख्या अनिवार्य है।
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डीमैट अकाउंट के प्रकार | Types of Demat Account
ऊपर हम ने जाना की डीमैट अकाउंट क्या होता है। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –
- रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो देश में रहते हैं।
- रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए होता है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक करने की जरूरत पड़ती है।
- नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए ही होता है, लेकिन इस प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।
डीमैट अकाउंट के फायदे | Benefits of Demat Accounts
- डीमैट अकाउंट में चोरी, क्षति या धोखाधड़ी का कोई जोखिम नहीं होता है।
- आप कसी भी समय कहीं से भी शेयर्स खरीद व बेच सकते है।
- निवेशक को किसी भी स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता है।
- लेन-देन करने के लिए न्यूनतम या कोई थकाऊ कागजी कार्रवाई नहीं।
- समय की बचत होती है।
- डीमैट अकाउंट में आप आसानी से अपने इन्वेस्टमेंट को ट्रैक कर सकते हैं।
अंतिम शब्द
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने डीमैट अकाउंट क्या होता है (Demat Account Kya Hota Hai) और साथ ही डीमैट अकाउंट के प्रकार और फायदे के बारे में भी विस्तार जाना हैं। मैं आशा करता हूँ की आप सभी को हमारा यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा।
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