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नमस्कार दोस्तों! आज मैं आप के लिए लेकर आया हूँ शेर और बंदर की कहानी (Sher Aur Bandar Ki Kahani), जिसे पढ़ कर आप को अवश्य आनंद आयेगा और कुछ नया सिखने को भी अवश्य मिलेगा। तो चलिए दोस्तों पढ़ते हैं आज की कहानी।
शेर और बंदर की कहानी | Sher Aur Bandar Ki Kahani
एक बार बंदर और शेर के बीच इस बात पर विवाद हो गया कि बुद्धि और बल में कौन बड़ा है। बंदर ने शेर से कहा कि मैं जंगल में किसी का नहीं हूं क्योंकि मेरे पास बुद्धि है और मैं इतना बुद्धिमान हूं कि किसी भी मुसीबत से आसानी से निकल सकता हूं।
उसमें शेर ने जवाब दिया कि मेरे बल के आगे तुम्हारी बुद्धि कुछ भी नहीं है। यदि मैं चाहूँ तो अपने बल से यहीं आपका कार्य पूर्ण कर सकता हूँ।
उसके बाद बंदर ने कहा कि मैं तुम्हें साबित कर दूंगा कि बुद्धि बल से बड़ी होती है। तब शेर ने कहा ठीक है फिर तुम अपनी बुद्धि से बल को परास्त करके मुझे कभी भी दिखा देना। यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं समझूंगा कि बुद्धि बल से बढ़कर है।
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कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन जब शेर जंगल में घूम रहा था तो वह एक बड़े से गड्ढे में गिर गया, जिससे उसके पैर में चोट लग गई। जैसे ही शेर लंगड़ाता हुआ गड्ढे से बाहर आया, एक शिकारी ने शेर की तरह बंदूक तान दी थी। शेर समझ गया कि गड्ढा शिकारी ने बनाया है।
इससे पहले कि शेर आगे की सोच पाता, ऊपर से कई पत्थर शिकारी की ओर गिरने लगे, जिसमें से एक पत्थर आकर शिकारी के सिर पर जा लगा। यह सब देखकर शिकारी डर गया और घायल अवस्था में वहां से भाग खड़ा हुआ।
इससे पहले कि शेर अपने मन में कुछ और सोचता, तभी बंदर ने शेर को पेड़ से बुला लिया, आज आपके बल का क्या हुआ, राजा? क्या आज आपकी ताकत आपके काम नहीं आई?
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तब शेर ने बंदर से कहा कि तुम यहां कैसे हो। तो बंदर ने जवाब दिया कि यह शिकारी कुछ दिनों से शिकार करने की सोच रहा था और मैं इस पर नजर रखे हुए था। मुझे पता था कि यह आज आपको शिकार करने के लिए यहां आएगा। इसलिए मैंने पेड़ पर ढेर सारे पत्थर जमा कर रखे थे ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल किया जा सके।
इसके बाद शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने बंदर से कहा कि तुम ठीक कहते हो, बुद्धि बल से बड़ी होती है। बल हर स्थिति या हर समय एक जैसा नहीं होता जबकि बुद्धि हमेशा आपके साथ होती है।
तब बंदर ने भी उसी का जवाब दिया और कहा कि देखो शिकारी तुमसे ताकत में कम था लेकिन फिर भी उसने अपनी बुद्धि के कारण तुम्हें फंसा लिया। वैसे ही मैं भी शिकारी से बल में कम था, पर मैंने भी अपनी बुद्धि के कारण शिकारी को हरा दिया।
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अंतिम शब्द
तो दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की कभी भी अपनी शक्तियों का अभिमान नहीं करना चाहिए और एक दूसरे की शक्तियों का सम्मान करना चाहिए और मिलजुल कर रहना चाहिए। जीवन सुखद रहेगा।
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको शेर और बंदर की कहानी (Sher Aur Bandar Ki Kahani) पसंद आई होगी। यह लेख आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट्स बॉक्स में कमेंट्स लिखकर जरूर बतायें। साथ ही इस लेख को दूसरों के साथ भी जरूर शेयर करें जो लोग शेर और बंदर की कहानी के बारे में जानना चाहतें हैं, ताकि सबको इसके बारे में पता चल सके। धन्यवाद!