यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का हिंदी अर्थ: श्रीमद्भागवत गीता का यह एक लोकप्रिय श्लोक है. महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश उस समय दिया था जब वे अपने- पराए के भेद में उलझ गए थे. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र में यह ज्ञान कराया.
श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक जीवन के सार और सत्य को बताता है. निराशा के घने बादलों के बीच ज्ञान की एक रोशनी की तरह है यह श्लोक. यह श्लोक श्रीमद्भागवत गीता के प्रमुख श्लोकों में से एक है. यह श्लोक श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 4 का श्लोक 7 और 8 है.
यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥4-7॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥4-8॥
यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का हिंदी अर्थ | Yada Yada Hi Dharmasya Sloka Meaning in Hindi
मैं अवतार लेता हूं. मैं प्रकट होता हूं. जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं. जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं.
यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक -शब्दार्थ
इस श्लोक को आसानी से समझने के लिए यहां पर श्लोक के प्रत्येक शब्द के शब्दार्थ दिए जा रहे हैं. इसे ऐसे समझें-
यदा यदा : जब-जब
हि: वास्तव में
धर्मस्य: धर्म की
ग्लानि: हानि
भवति: होती है
भारत: हे भारत
अभ्युत्थानम्: वृद्धि
अधर्मस्य: अधर्म की
तदा: तब तब
आत्मानं: अपने रूप को रचता हूं
सृजामि: लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ
अहम्: मैं
परित्राणाय: साधु पुरुषों का
साधूनां: उद्धार करने के लिए
विनाशाय: विनाश करने के लिए
च: और
दुष्कृताम्: पापकर्म करने वालों का
धर्मसंस्थापन अर्थाय: धर्मकी अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए
सम्भवामि: प्रकट हुआ करता हूं
युगे युगे: युग-युग में
Conclusion
मैं उम्मीद करता हूँ कि अब आप लोगों को यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का हिंदी अर्थ (Yada Yada Hi Dharmasya Sloka Meaning in Hindi) से जुड़ी सभी जानकरियों के बारें में पता चल गया होगा। यह लेख आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट्स बॉक्स में कमेंट्स लिखकर जरूर बतायें। साथ ही इस लेख को दूसरों के जरूर share करें, ताकि सबको इसके बारे में पता चल सके। धन्यवाद!
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