मेरा परिवार पर निबंध – नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हूँ कि आप सभी अछे ही होंगे. दोस्तों क्या आप दहेज प्रथा पर निबंध (About Family in Hindi) लिखना चाहते हैं? यदि हाँ तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं। इस पोस्ट में हम आपके लिए Short Essay लेकर आये हैं जो की बहुत ही सरल भाषा में लिखे गये हैं। हमें उम्मीद है आपको ये मेरा परिवार पर निबंध पसंद आयेंगे। आप इस निबंध को स्कूल-कॉलेज या प्रतियोगिता आदि में लिख सकते हैं।
मेरा परिवार पर निबंध (200 शब्द)
मेरा छोटा सा परिवार है जिसमे मै और मेरी बहन तथा मेरे माता – पिता रहते हैं। मैं और मेरी बहन एक ही स्कूल में पढ़ते हैं। मेरी बहन सातवीं क्लास में है। स्कूल हमारे घर के करीब ही है। हम हर रोज पैदल ही स्कूल जाते हैं। हम दोंनो सबसे अच्छे दोस्त की तरह हैं।
मेरी बहन मुझे बहुत प्यार करती है और मै भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूँ। मेरे पिता बैंक में सहायक प्रबंधक के रूप में काम करते हैं। वह वहां जाने के लिए मेट्रो से यात्रा करते है। मेरे पिता बहुत ही जिंदादिल इंसान हैं। हम घर में उनके साथ खूब मस्ती करते हैं।
मेरे पिता चुटकुलों से हमारा मनोरंजन करते हैं, जो हमेशा ताजा और मजाकिया होते हैं। लेकिन जब वे टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहे होते है तब उन्हें परेशान करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।
मेरी माँ एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और समाज में गरीब महिलाओं के लिए काम करती हैं। वह उनके बीच मे बहुत लोकप्रिय है। वह बच्चों से भी बहुत प्यार करती है। मेरे माता-पिता अच्छे और दयालु हैं। लेकिन वे काफी सख्त भी हैं। वे हमें वह सबकुछ देते हैं जिसकी हमें जरूरत होती है।
जब भी हमारी स्कूल की छुट्टी होती है तब हम घर में खूब मस्ती करते हैं। मुझे अपने परिवार से बहुत प्यार है। मुझे अपने परिवार के बीच रहना बहुत पसंद है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे मेरे परिवार को मुसीबतों से बचाएं और खुशियां बनाए रखें।
मेरा परिवार पर निबंध (300 शब्द)
परिचय
ऐसे व्यक्तियों का समुह जो आपस में परस्पर खून के रिस्तें या विवाह पश्चात् बनने वाले रिस्तें को साझा करते हैं, वह परिवार कहलाता है। मूल परिवार तथा संयुक्त परिवार, परिवार के प्रकार हैं। समाज में व्यक्ति या तो मूल परिवार में निवास करता है या संयुक्त परिवार का हिस्सा होता है। मेरा परिवार संयुक्त परिवार की श्रेणी में आता है, जिसमें माता-पिता तथा हम तीन भाई बहनों के अलावां दादा दादी भी रहते हैं।
संयुक्त परिवार का छोटा होता स्वरूप
वर्तमान समय के, व्यस्तता भरे जीवन में संयुक्त परिवार का प्रचलन कम होता जा रहा है। अब ज्यादा-तर मूल परिवार ही समाज में देखने को मिलते हैं। जिसमें दम्पत्ति अपने बच्चों के साथ निवास करता है। जीवन के भागा-दौड़ में, संयुक्त परिवार विभक्त होकर जहां मूल परिवार के रूप में परिवर्तित हो गए है, वहीं मूल परिवार का आकार भी अब छोटा होने लगा है। जिसमें पुरूष व स्त्री काम के सिलसिले में अलग निवास करते हैं। बच्चे भी पढ़ाई या अन्य कारणों के वजह से अपने परिवार से दूर निवास करते हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा की परिवार व्यक्ति के इकाई के रूप में परिवर्तित होता जा रहा है।
घर सबसे सुरक्षित स्थान तथा परिवार एक पाठशाला
जैसा की हम सभी जानते हैं, व्यक्ति के रहने के लिए “घर” सबसे सुरक्षित स्थान है, उसी प्रकार हम मनुष्य के देख-भाल, चिंता तथा ज़रुरतों की पूर्ति “परिवार” से बेहतर और कोई नहीं कर सकता हैं। व्यक्ति के सही व्यक्तित्व का निर्माण परिवार द्वारा ही सम्भव है। तथा जिस प्रकार व्यक्ति की पहली शिक्षक उसकी माता को माना गया है उसी प्रकार व्यक्ति का पहला पाठशाला उसका परिवार है। मेरे परिवार में रहने वाले दादा जी तथा दादी माँ, बेशक मुझे रोज़ कहानीयाँ नहीं सुनाते पर अपने समय की बाते बताते रहते है, जिसे सुनना अपने आप में एक आनंद है। इसके साथ ही जीवन को सही ढ़ंग से जीने की प्रेरणा मिलती है।
निष्कर्ष
व्यक्ति के जीवन में शारीरिक, आर्थिक तथा बौद्धिक विकास के लिए पूर्ण रूप से एक परिवार ज़िम्मेदार होता है। सम्भवतः इसलिए व्यक्ति के अच्छे-बूरे कर्मों के लिए समाज सदैव परिवार की सराहना या अवहेलना करता हैं।
मेरा परिवार पर निबंध (400 शब्द)
परिचय
मेरा परिवार एक मूल तथा खुशहाल परिवार है, जिसमें माता पिता के साथ मैं और मेरा छोटा भाई रहते है तथा हम मध्यम वर्गीय परिवार के श्रेणी में आते हैं। व्यक्ति के आवश्यकताओं की पूर्ति परिवार, बिना किसी स्वार्थ के करता है। इसलिए हम सब के जीवन में परिवार का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। समाज के इकाई के रूप में भी परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि परिवारों के समुह से समुदाय तथा समुदायों को मिलाने से समाज का निर्माण होता है अतः सही समाज के लिए, आदर्श परिवार का होना अतिआवश्यक है।
व्यक्ति के जीवन में परिवार के स्नेह का महत्व
यह आवश्यक है की, परिवार के मध्य बड़े हो रहे बच्चों को स्नेह दिया जाए तथा सही तरह से उनकी देख-भाल की जाए, समाज में हो रहे अपराधों में ज्यादातर ऐसे अपराधी हैं जो कम उर्म के हैं तथा उन्होंने पहली बार यह अपराध किया होता है। व्यक्ति के साथ परिवार का सही व्यवहार न होने के वजह से व्यक्ति का बौद्धिक विकास नहीं हो पाता तथा वह मानसिक रूप से कई यातनाओं को बर्दाश्त कर रहा होता है। हम अपने भावनाओं को परिवार के साथ बांटते है पर जब परिवार ही हमारे साथ सही व्यवहार न करें तो हमारे व्यक्तित्व में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाता है तथा यह व्यक्ति तो अपराध की ओर अग्रसर करते हैं।
व्यक्ति पर परिवार के नेतृत्व का समाज पर प्रभाव
ऐसे अनेक केस समाज के सामने आये हैं, जिसका शोध करने पर यह पाया गया है की अपराधी का परिवारिक पृष्टभूमि (Family Background) समान्य नहीं है, उसमें तनाव पाया गया गया है। बचपन में अपने पारिवारिक अशांति के वजह से बच्चे के मन मस्तिष्क में गुस्सा बना रहता है जो आगे चल कर परिवार तथा समाज के लिए अफशोस का सबब बनता है। सिर्फ बच्चे के प्रति नैतिक ज़िम्मेदारी पूरी करने से वह सही व्यक्ति नहीं बनता अपितु उसके लिए परिवार में सही वातावरण का होना भी उतना ही आवश्यक है। इससे विपरीप समाज में ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जायेगे जिसका परिवार दो वक्त के भोजन के लिए कठिन परिश्रम करता था पर उस परिवार में पले बच्चें आज समाज के महत्वपूर्ण पदों आसीन हैं तथा समाज को विकास की ओर अग्रसर कर रहें हैं।
निष्कर्ष
बच्चा भविष्य में क्या बनेगा यह पूर्ण रूप से बच्चे के परिवार पर निर्भर करता है। सही मार्ग दर्शन के मदद से पढ़ाई में कमजोर बच्चा भी भविष्य में सफलता के नये आयाम को चुमता है इसके विपरीत मेधावी छात्र गलत मार्ग दर्शन के वजह से अपना लक्ष्य भूल जाता है तथा जीवन के दौड़ में कहीं पीछे छुट जाता है।
मेरा परिवार पर निबंध (500 शब्द)
परिचय
वह समुह जहां एक दम्पत्ति के साथ दो बच्चे रहते हैं, उसे छोटा मूल परिवार कहा जाता है। एक दम्पत्ति के साथ जहां दो से अधिक बच्चे निवास करते हैं उसे बड़ा मूल परिवार के नाम से जाना जाता है। तथा जहां माता-पिता व बच्चों के अलावां दादा-दादी, चाचा-चाची आदि सदस्य रहते हैं उसे संयुक्त परिवार कहा जाता हैं। मेरा परिवार छोटा संयुक्त परिवार है। जिसमें हम भाई बहनों और माता-पिता के अलावां दादा-दादी भी हमारे साथ रहते हैं।
“वसुधैव कटुम्बकम्” (यह पूरा विश्व हमारा परिवार है)
किसी भी विकसित देश के निर्माण में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवार के विकास से देश विकास की सीढ़ीयां चढ़ता है। परिवार से राष्ट्र का निर्माण होता है तथा राष्ट्रों से विश्व का निर्माण होता है। इसलिए कहा गया है, “वसुधैव कटुम्बकम्” अर्थात यह पूरा विश्व हमारा परिवार है। तथा प्राचीन भारत में इसका बहुत महत्व था जो अब समय के साथ धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा है। इसका एक प्रमुख कारण संयुक्त परिवार का मूल परिवार में बदल जाना भी है।
मेरे जीवन में परिवार का महत्व
मेरा परिवार, संयुक्त परिवार होने के बाद भी सुखी परिवार है। तथा मैं खुश हुँ की मेरा जन्म इस संयुक्त परिवार में हुआ। जिसमें परिवार के माध्यम से ही हम हमारे बचपच में जीवन के उन महत्वपूर्ण बातों को सीख पाए जिन्हें हम किताबों के माध्यम से शायद ही कभी सीख पाते। मेरे माता-पिता दोनों ही विद्यालय में अद्यापन का कार्य करते हैं। उनके घर पर न रहने के दौरान दादा-दादी के साथ अनेक विषयों पर मेरी और मेरे भाई बहनों की चर्चा होती है, जो काफी रोचक होता है। इसके अलावां हमारे पास हमारा एक कुत्ता भी है, जो हमारे परिवार का ही हिस्सा लगता है।
सुरक्षा क़वच के रूप में परिवार
परिवार व्यक्ति को बाहरी बुराईयों तथा खतरों से सुरक्षा प्रदान करता है, अर्थात व्यक्ति परिवार में सभी प्रकार के बाहरी आपदाओं से सुरक्षित होता है साथ ही व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास परिवार की ही देन हैं। परिवार बच्चे के लिए एक खुशहाल तथा सुरक्षित वातावरण का निर्माण करता है तथा हमारी सारी अपेक्षाएं, ज़रुरतें परिवार के माध्यम से ही पूरी होती हैं। मेरा परिवार एक मध्यम वर्गीय परिवार है, पर उसके बाद भी मेरे माता-पिता मुझे और मेरे भाई बहनों की हर आवश्यकता को पूरा करने का पूरा प्रयास करते हैं। परिवार से मिलता स्नेह और मेरे प्रति उनकी चिंता मुझे मेरे परिवार के और समीप ले जाता है। तथा मेरे परिवार के प्रति मेरी ज़िम्मेदारीयों का एहसास कराता है। व्यक्ति अपने ज़िम्मेदारीयों को वहन करने के आदत से समाज का भी ज़िम्मेदार नागरिक बनता है। परिवार के सारे लोग मुसीबत के समय एक साथ मिल कर मुसीबत का सामना करते हैं।
निष्कर्ष
अपना परिवार व्यक्ति के लिए अपना संसार होता है, उससे वह संस्कार, अनुशासन, स्वच्छता, संस्कृति तथा परंपरा व इसी प्रकार के अनेक आचरण सीखता है। अपने जीवनकाल में व्यक्ति क्या प्राप्त करता है यह उसके परिवार पर काफी हद तक निर्भर करता है। तथा इसी प्रकार से देश के निर्माण में भी परिवार एक आधारभूत भूमिका निभाता है।
अंतिम शब्द
तो दोस्तों आज हमने मेरा परिवार पर निबंध (About Family in Hindi) के बारे में विस्तार से जाना हैं और मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को यह लेख पसंद आया होगा और आपके लिए हेल्पफुल भी होगा।
यदि आप को यह पोस्ट पसंद आई है तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें। आर्टिकल को अंत तक पढने के लीयते आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
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