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नमस्कार दोस्तों, आज मैं आप के लिए लेकर आया हु तोता मैना की कहानी (Tota Maina Ki Kahani), जिन्हें पढ़ कर आप को तोता-मैना के बिच की निस्वार्थ दोस्ती के बारे में जानने को मिलेगा। इन कहानियों से आप भी कुछ न कुछ नया जरुर से सिख सकते हैं। अतः इस लेख को अंत तक पढ़े।
चलिए शुरू करते हैं।
तोता मैना की कहानी 01 (Tota Maina Ki Kahani – 01)
प्राचीन काल में एक बहुत भयानक जंगल था। उसी जंगल में कई भयानक जानवर रहा करते थे, जो अपना पेट भरने के लिए किसी भी जानवर को मारकर खा जाते थे। इस जंगल में एक पेड़ पर एक तोता और एक मैना रहा करते थे। तोता बहुत ही आलसी किस्म का था, जो दिन भर पेड़ पर पड़ा रहता था और उसी पेड़ में एक मैना रहती थी, जो तोते के विपरीत थी।
मुझे आलसी लोग बिल्कुल पसंद नहीं थे। मैं बहुत मेहनती था। एक ही पेड़ पर रहने के कारण तोते और मैना में बहुत लड़ाई होती रहती थी। जिसके कारण वे दोनों एक दूसरे से नफरत करते थे। कई दिनों तक दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और दोनों के बीच बातचीत होने लगी। देखते ही देखते तोते और मैना में गहरी दोस्ती हो गई।
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कुछ ही समय में वे आपस में इस कदर घुलमिल गए कि वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे, जो एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे। समय के साथ तोता और मैना खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन यह दोनों ही खुशी मौसम को मंजूर नहीं थी। तभी जब सर्दी का मौसम आया और ठंड पड़ने लगी। देखते ही देखते वहां अचानक ठंड का प्रकोप बढ़ गया।
जिससे कुछ ही दिनों में मैना की तबीयत बिगड़ने लगी। यह देखकर तोता बहुत चिंतित हो गया और मैना से कहा कि चलो कहीं दूर चलते हैं, जहां मौसम सही रहेगा और वहां हम अपने लिए कुछ खाने को ढूंढेंगे और वहां अपना नया घर बनाएंगे। यहां अत्यधिक ठंड के कारण खाने के लिए फल नहीं मिलेंगे।
अगर हम यहां ज्यादा देर रुके तो हम नहीं बचेंगे। जिसके लिए हमें यहां से निकलना होगा। लेकिन मैना की बिगड़ती तबीयत के कारण वह तोता के साथ जाने से मना कर देती है। जिसके बाद तोता मैना से कहता है, ठीक है, जब तक तुम ठीक नहीं हो जाती, हम यहीं रहेंगे। लेकिन हमें यहां खाने को कुछ नहीं मिलेगा, जिसके लिए मुझे अकेले जाकर खाने-पीने के लिए कुछ फलों का इंतजाम करना होगा।
जिसके बाद मैना तोता को जाने का आदेश देती है। मैना की बात सुनकर वह तुरंत ही उड़ जाता है और कुछ दूर जाने के बाद उसे आसपास कुछ नहीं दिखता, जिसके बाद वह थोड़ा आगे चला जाता है। लेकिन फिर भी तोते को कुछ दिखाई नहीं देता, जिसके बाद वह इधर-उधर भटकता है और बहुत दूर चला जाता है। इधर-उधर भटकने के बाद वह एक गांव में पहुंचता है। जहां पहुंचने पर वह देखता है कि यहां के लोगों ने कई फलों की फसल लगाई है, जिसमें कई फल लगे हैं।
जिसके बाद तुरंत तोता फलों के पेड़ों पर बैठ जाता है और फलों को तोड़कर खाने लगता है। वह फल खाने में इतना मशगूल हो जाता है कि वह भूल जाता है कि उसे मन्ना के लिए भी कुछ खाना लेना है। वह फल खाकर इतना पेट भर लेता है कि कहीं चल भी नहीं पाता। जिसके बाद तोता वहीं आराम करने लगता है।
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तोता जैसे ही आराम करने के लिए लेटता है, वह गहरी नींद में सो जाता है। जब तोता गहरी नींद से जागता है तो मैं देखता हूं कि चारों तरफ बहुत अंधेरा है, जिसके कारण वह अंधेरे में उड़ नहीं पाता और फिर अपनी गलती के लिए खुद को कोसने लगता है।
कहते हैं कि सब कुछ मेरी वजह से हुआ है, यह मेरी गलती है, मुझे इतना नहीं खाना चाहिए था। अब मैं अपनी मैना को कैसे जाऊंगी। बेचारी की तरह परेशान हो रही होगी और तबीयत भी बहुत खराब है। अब मैं क्या करूँ, कैसे उससे मिलूँ।
जिसके बाद तोता सुबह होने का इंतजार करने लगता है और कहता है कि सुबह होते ही मैं तुरंत फल लेकर मैना चला जाऊंगा। वह रात खत्म होने का इंतजार करने लगता है। धीरे-धीरे जब सुबह की पहली किरण तोते पर पड़ती है तो वह तुरंत फल लेकर मैना में जाने के लिए उड़ जाता है। उसे मैना पहुँचने में बहुत समय लग रहा था क्योंकि वह फल लेने के लिए बहुत दूर से आया था।
दो-तीन दिन तक लगातार उड़ने के बाद वह मैना के पास पहुंच जाता है और तुरंत मैना को खाने के लिए फल देता है, जिसे खाने के बाद मैना को थोड़ा जीवन मिल जाता है। लेकिन तबीयत बहुत खराब होने के कारण मैना को बहुत कमजोरी हो जाती है। जिससे वह उड़ नहीं पाई। यह देखकर तोता मैना से कहता है कि जब तक तुम पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, मैं रोज जाकर खाने के लिए फल लेकर आऊंगा।
इसके बाद तोता प्रतिदिन उस गाँव की ओर उड़ता और वहाँ से फल लेकर वापस मैना ले आता। धीरे-धीरे ऐसा करने में तोते को काफी समय लग गया। तोते के इस प्रयास से मैना धीरे-धीरे ठीक होने लगी और कुछ ही समय में जब मैना पूरी तरह से ठीक हो गई तो तोता बहुत खुश हो गया और मैना भी तोते को धन्यवाद देती है।
फिर दोनों उड़कर उसी गाँव में पहुँचते हैं, जहाँ से तोता प्रतिदिन मैना के लिए फल लाने उड़ता था। जब मैना देखती है कि तोता रोज कितनी दूर आया करता था तोते से बहुत खुश हो जाती है और उसके बाद तोता और मैना दोनों उसी गांव में खुशी से अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं।
तोता मैना की कहानी 02 (Tota Maina Ki Kahani – 02)
एक बार की बात है एक गांव में एक तोता पिंजरे में कैद था। उसे उसके मालिक ने पिंजरे में रखा है। वह उस पिंजरे से बाहर निकलना चाहता है लेकिन बिना किसी सहारे के वह ऐसा नहीं कर पाता। एक दिन एक मैना उड़ती हुई उस गाँव में पहुँचती है। वह तोते के पास जाती है और तोते से पूछती है कि तुम इस पिंजरे में कैसे कैद हो गए।
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तब तोता बताता है कि पहले मैं एक जंगल में रहता था जहां बहुत से शिकारी आते थे। एक दिन एक शिकारी ने मुझे और मेरे कुछ दोस्तों को पकड़ लिया और उन्हें शहर में बेच दिया। जिसके बाद इस घर के मालिक ने मुझे खरीद लिया और पिंजरे में बंद कर दिया। मैं अब इस पिंजरे में नहीं रहना चाहता। मैं भी तुम्हारी तरह आजाद घूमना चाहता हूं। क्या आप इसमें मेरी मदद करेंगे?
मैना ने तोते से कहा कि अवश्य ही मैं तुम्हें इस पिंजरे से बाहर निकलने में मदद करूंगी। मैना की मदद से तोते को पिंजरे से छुड़ाया गया। इसके बाद मैना तोते को लेकर एक जंगल में चली गई। जहां मैना एक पेड़ में घोसले पर रहती थी। मैना का घोंसला देखकर तोते ने कहा कि तुम्हारा घोंसला बहुत सुंदर है। और इस पेड़ में कितने ही मीठे फल लगते हैं। मैना ने कहा कि मैं तुम्हें घोंसला बनाने में भी मदद करूंगी।
तब तक तुम मेरे घोसले में रह सकते हो। मैना की सहायता से तोते ने कुछ ही दिनों में एक सुंदर घोंसला बना लिया। इसके बाद तोते ने कहा कि तुमने मेरी दो बार मदद की है। एक बार जब आपने मुझे पिंजरे से आज़ाद कर दिया तो मुझे घोंसला बनाकर आपका उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा।
इस पर मैना ने कहा कि जब भी मुझे मदद की जरूरत हो आप भी मेरी मदद कर सकते हैं। इसके बाद तोते मैना की दोस्ती बढ़ती गई। जब भी जरूरत पड़ती तोता मैना एक दूसरे के काम में आ जाते और एक दूसरे की मदद करते।
पूरे जंगल के सभी जानवरों को इस बात का पता चल गया, जिससे सभी ने उनकी दोस्ती की तारीफ की। एक दिन जंगल में भीषण आग लग गई। जिससे सभी जानवर तेजी से वहां से भाग निकले। लेकिन धुएँ के कारण पक्षी उस जंगल को छोड़ने में असमर्थ थे। तभी तोते मैना ने मिलकर पक्षियों की मदद करने की सोची।
वे दोनों अन्य पक्षियों को एक डंडे के सहारे जंगल से बाहर एक तालाब में ले जाने लगे। वह सभी पक्षियों को तालाब में ले गया लेकिन बाद में तोता मैना खुद उस जंगल की आग में फंस गया। जंगल में आग काफी बढ़ चुकी थी। जिससे पूरे जंगल में धुंआ पसर गया। जिससे तोते मैना को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
मैना ने तोते को पुकारा कि मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है और मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। तभी तोता भी बोला कि मुझे भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। इसके बाद पहले मैना जंगल की आग में घिर गई और अपनी जान दे दी। तोता मैना को पुकारता रहा, उसे नहीं पता था कि मैना जीवित है या नहीं। तोता भी बिना कुछ देखे इधर-उधर उड़ता रहा और आग की चपेट में आ गया।
कुछ देर बाद भी जब तोता और मैना तालाब पर नहीं पहुंचे तो दूसरे पक्षी समझ गए कि तोता और मैना हमारी मदद करते हुए आग में जलकर मर गए हैं। जिससे सभी पक्षियों और जानवरों ने उसकी मृत्यु पर शोक मनाया। इस तरह तोते और मैना की सच्ची दोस्ती अमर हो गई।
अंतिम शब्द
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